आर्यमन कहते हैं कि मुझे इस बात की खुद भी कोई जानकारी नहीं है कि मुझे कैसे क्रिकेट से लगाव हो गया। ये मैं जानता हूं कि मैनें आठ साल की उम्र में ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। भारत देश में क्रिकेट को घर्म के समान माना जाता है, वहीं मुबंई में भी मैदान क्रिकेट का बहुत चलन है, मैनें वहीं से क्रिकेट खेलना सीखा है। क्रिकेट की बारीकियों को सीखने के लिए मैनें कोचिंग भी ली और तीन वर्ष से मप्र की ओर से खेलने का मौका मिल रहा है तो बहुत अच्छा लगता है। सागर के एमपीसीए मैदान पर रविवार को कर्नल सीके नायडू अंडर-२३ टूर्नामेंट में आर्यमन ने 230 रन का स्कोर बनाया। यह उनके कैरियर का पहला दोहरा शतक है। वे कहते हैं इसलिए अब सागर और इस मैदान का मेरे जीवन में अहम स्थान बन गया है। 20 साल के आर्यमान मप्र की ओर से कर्नल सीके नायडू टूर्नामेंट में में बल्लेबाजी कर रहे हैं।
स्वभाव से मिलनसार हैं आर्यमन
आर्यमन विक्रम बिड़ला स्वभाव से मिलनसार हैं। घर में खुद का बिजनेस होने के बावजूद क्रिकेट से लगाव होने की बात पर वे कहते हैं कि परिवार ने शुरुआत से ही उन्हें क्रिकेट से दूर नहीं किया, वे बिजनेस के बारे में नहीं सोचते। बिजनेस की बात जब होगी तब होगी। उनके अनुसार अभी यही सही होगा कि वे पूरा ध्यान और समय क्रिकेट को दें। क्रिकेट ही मेरा पैशन है, जिसको में दिल से खेलता हूं।
कोई क्रिकेटर नहीं है मेरा आदर्श
आर्यमन बताते हैं कि तीन साल पहले अंडर-19 टूर्नामेंट के लिए सागर की पिच पर खेल चुका हूं। मैंने अब तक क्रिकेट में किसी को अपना आदर्श नहीं बनाया है। मैं जिन लोगों के साथ खेलता हूं उन्हीं को देखकर सीखता हुआ चलता हूं। मैं बस क्रिकेट खेलना चाहता हूं। अब तक एमपी की अंडर-19, अंडर 23, और रणजी के वन डे स्टैंड बाय में खेल चुका हूं। मप्र में भी क्रिकेट के लिए अच्छे मैदान हैं, सागर का मैदान और यहां की सुविधाएं भी बेहतर हैं। बल्लेबाजी में सागर की पिच पर मेरा सबसे अच्छा स्कोर है। रीवा में उप्र की टीम के खिलाफ मैंने पांच विकेट लिए थे। यह गेंदबाजी में मेरा अब तक का सबसे अच्छा रिकार्ड है। बस इसी में आगे जाना चाहता हूं।