प्रकरण में आदेश करने के एवज में आरोपी तहसीलदार ने आवेदक कल्याण सिंह लोधी से 9 हजार रुपए की रिश्वत मांग की।
लोकायुक्त संगठन ने पन्ना जिले के रैपुरा में सोमवार सुबह तहसीलदार चंद्रमणि सोनी को उन्हीं के शासकीय आवास पर 3 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है। तहसीलदार ने दमोह जिला निवासी एक किसान से उसकी जमीन को कब्जा मुक्त कराने का आदेश करने कके एवज में रिश्वत की मांग की थी। लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक योगेश्वर शर्मा ने किसान की शिकायत सही पाए जाने पर निरीक्षक रोशनी जैन ट्रैप कार्रवाई के लिए नियुक्त किया। इसके बाद निरीक्षक जैन के नेतृत्व में निरीक्षक अभिषेक वर्मा, निरीक्षक केपीएस बेन व स्टाफ ने सोमवार को आरोपी तहसीलदार चंद्रमणि सोनी को रिश्वत लेते दबोच लिया। आरोपी तहसीलदार के दो बेटे हैं, जिसमें एक डिप्टी कलेक्टर तो दूसरा डीएसपी है। वहीं उनकी डीएसपी बहू वर्तमान में सागर जिले में पदस्थ है।
लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय के अनुसार दमोह जिले की पटेरा तहसील अंतर्गत गाता कुम्हारी गांव निवासी कल्याण सिंह दांगी ने शिकायत में बताया कि उनकी पत्नी द्रौपदी बाई को पन्ना जिले की रैपुरा तहसील के पिपरिया कलां गांव में 70 डिसमिल पैतिृक जमीन मिली थी, जिस पर उनके रिश्तेदारों ने कब्जा कर रखा है। उक्त जमीन को कब्जे से मुक्त कराने के लिए तहसीलदार चंद्रमणि सोनी के न्यायालय में 26 दिसंबर 2024 को द्रौपदी बाई की ओर से परिवाद दायर किया गया था। प्रकरण में आदेश करने के एवज में आरोपी तहसीलदार ने आवेदक कल्याण सिंह लोधी से 9 हजार रुपए की रिश्वत मांग की। तहसीलदार ने अपने प्राइवेट चालक इंद्रपाल सिंह लोधी के माध्यम से 4 हजार रुपए ले भी लिए। इसके बाद भी आदेश नहीं किया।
लोकायुक्त टीम जब तहसीलदार के आवास पर कार्रवाई कर रही थी, तभी दमोह जिले के कोटा निवासी मुस्तफा अली भी वहां पहुंच गए। मुस्तफा ने आरोप लगाए कि तहसीलदार सोनी ने अपने ड्राइवर इंद्रपाल के जरिए गोविंदपुरा हल्का में बंधक जमीन के नामांतरण और सत्यापन के लिए उनसे 35 हजार रुपए लिए थे, लेकिन उनका काम पूरा नहीं किया। इसी सिलसिले में बात करने रैपुरा पहुंचे थे, लेकिन पता चला कि वह पहले ही ट्रैप हो गए।
रिश्वत लेते ट्रैप हुए तहसीलदार चंद्रमणि सोनी पिछले महीने एक विवादित बयान देकर चर्चा में आए थे। रैपुरा में शराब दुकान का विरोध कर रही जनता को समझाते हुए उन्होंने मीडिया से कहा था कि सरकार की जन कल्याणकारी योजनाएं शराब के रुपयों से चलती हैं। इसके बाद विपक्ष ने सरकार को घेरा था। तहसीलदार के खिलाफ दो विभागीय जांचें भी चलने की बात सामने आ रही है।