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सागर में विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ संविधान निर्मात्री सभा के रहे सदस्य
सागर. बुंदेलखंड एक ऐसी जगह है, जहां तब विश्वविद्यालय की स्थापना हो गई थी, जब देश आजाद भी नहीं हुआ था। यहां मप्र के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल और सागर विवि के संस्थापक डॉ. हरिसिंह गौर की विवि परिसर में एक मीटर के फासले से बनी समाधि भी बनी हुई है। मप्र जब अस्तित्व में ही नहीं था, तब बुंदेलखंड के सपूत डॉ. सर हरिसिंह गौर ने अपने जीवन भर की जमा पूंजी से सागर में विश्वविद्यालय की स्थापना की। विश्वविद्यालय बनाने के लिए डॉ. हरिसिंह गौर के बाल सखा मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल का बड़ा सहयोग रहा। पं. रविशंकर शुक्ल विवि के पहले कुलाधिपति बने और डॉ. हरिसिंह गौर पहले कुलपति। दोनों ही लोगों का संविधान निर्माण में भी विशेष योगदान रहा। यही वजह है कि विवि परिसर में डॉ. हरिसिंह गौर और पं. रविशंकर शुक्ल का समाधि स्थल करीब एक मीटर के फासले से बनाया गया।
विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुरेश आचार्य ने बताया कि जब मध्यप्रदेश नहीं था, प्रदेश का नाम मध्यभारत सीपी बरार था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री ( तब मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहते थे) पं. रविशंकर शुक्ल के हस्तक्षेप के बाद 18 जुलाई 1946 को सागर में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। डॉ. गौर उसके कुलपति बने और पदेन कुलाधिपति बने पं. रविशंकर शुक्ल। यहां दो बातें उल्लेखनीय हैं- पहली यह कि सागर पं. शुक्ल की भी जन्मभूमि है और दूसरी यह कि जब 1923 में नागपुर विश्वविद्यालय बना, तब पंडित जी उसकी कार्य परिषद में थे और पहले कुलपति डॉ. गौर बने थे।
संविधान निर्माण में विशेष योगदान
वर्ष 1946 को भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ इसके डॉ. गौर एक प्रमुख सदस्य थे। भारतीय संविधान के निर्माण में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। रायपुर जिला परिषद के वे दस साल तक सचिव रहे। वहीं अविभाजित मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल भी संविधान सभा के सदस्य थे। संविधान के निर्माण के दौरान हिंदी को राजभाषा का दर्जा और शिक्षा में राज्यों को हस्तक्षेप का अधिकार दिलाने में उनका प्रमुख योगदान रहा है।
गौरवशाली रहा सागर का इतिहास
सागर से भारतीय संविधान निर्मात्री सभी के तीन सदस्य रहे हैं। भारतीय संविधान की मूल प्रति पर स्व-हस्ताक्षर अंकित हैं। यह सागर के लिए गौरव की बात है। विश्वविद्यालय में महान दानवीर डॉ. हरिसिंह गौर और मप्र के पहले मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल की समाधि स्थल भी एक ही स्थान पर बनी हुई है।
प्रो. बीके श्रीवास्तव, इतिहासकार
Published on:
28 Jan 2025 11:44 am
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