बता दें कि नानौता में हाल ही में भाजपा की रैली के दौरान पीएम मोदी ने मुस्लिम महिलाओं को लुभाने के लिए तीन तलाक का जिक्र किया था। उन्होंने मुस्लिम महिलाआें के वोट भाजपा के पक्ष में करने के लिए तीन तलाक के बाद निकाह और हलाला के मुद्दे का इस्तेमाल किया था। इन मुद्दों को भाजपा के घोषणापत्र में शामिल करने पर मुस्लिम धर्मगुरु आैर मुस्लिम महिलाआें ने आपत्ति जतार्इ है।
इस मामले में मजलिस इत्तेहाद-ए-मिल्लत के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती अहमद गौड़ ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि तीन तलाक के मुद्दे पर देशभर में विरोध के बावजूद भारतीय जनता पार्टी जान-बूझकर मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप कर रही है। भाजपा चुनाव में मुस्लिम महिलाओं के वोट लेने के लिए जबरन शरीयत में दखल दे रही है। वहीं मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने इसे वोट बटोरने का हथकंडा करार दिया है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक का मुद्दा भी जबरन उठाया गया था। वहीं अब घोषणापत्र में निकाह और हलाला को समाप्त करने का वादा करके नए विवाद को जन्म दे दिया गया है। इसे मुसलमान कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
इसी तरह जामिया इल्हामिया मदरसातुल बनात की प्रबंधक खुर्शिदा खातून कहती हैं कि भाजपा को अच्छी तरह पता है कि देश की मुस्लिम महिलाएं पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ खड़ी हैं। इसके बावजूद भाजपा जान-बूझकर नए-नए विवादों को जन्म देकर लोकसभा चुनाव में लाभ उठाना चाहती है।
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