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सहारनपुर

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सम्मेलन में अंतिम दिन ज्ञानवापी समेत कई प्रस्ताव पारित

जमीयत अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने देश के वर्तमान हालातों पर चिंता जताते हुए कहा कि जो लोग हमसे पाकिस्तान जाने की बात कहते हैं, वो जान लें कि ये मुल्क हमारा है, हम कहीं नहीं जाएंगे। मौलाना मदनी ने कहा कि हमें अल्पसंख्यक माना जाता है, लेकिन हम दूसरी बड़ी बहुसंख्यक आबादी हैं।

सहारनपुरMay 29, 2022 / 05:05 pm

lokesh verma

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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सम्मेलन में अंतिम दिन ज्ञानवापी समेत कई प्रस्ताव पारित।

देवबंद में आयोजित जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दो दिवसीय सम्मेलन में रविवार को ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह समेत अन्य मुद्दों पर कई प्रस्ताव पारित किए गए। मुख्य रूप से देश की अखंडता पर जोर देते हुए समान नागरिक संहिता और तीन तलाक़ कानून का विरोध किया गया। इसके साथ ही ज्ञानवापी और मथुरा मामलों को बढ़ावा देना देश की अमन-शांति और अखंडता की गरिमा को नुकसान देने वाला बताया गया। सम्मेलन अंतिम दिन जमीयत अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने देश के वर्तमान हालातों पर चिंता जताते हुए कहा कि जो लोग हमसे पाकिस्तान जाने की बात कहते हैं, वो जान लें कि ये मुल्क हमारा है, हम कहीं नहीं जाएंगे। मौलाना मदनी ने कहा कि हमें अल्पसंख्यक माना जाता है, लेकिन हम दूसरी बड़ी बहुसंख्यक आबादी हैं।
अरशद मदनी ने कहा कि देश में हालातों को बदलने की कोशिश की जा रही हैं। नकारात्मक राजनीति के अवसर तलाशे जा रहे हैं। मंदिर-मस्जिद के विवादों को सुर्खियां दी जा रही हैं। ऐसे विवाद खड़े करके देश की अमन-शांति को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची जा रही है। अखंड भारत का निर्माण ऐसे नहीं होगा, सभी को साथ लेकर चलने से ही राष्ट्र निर्माण संभव है।
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समान नागरिक संहिता मंजूर नहीं

सम्मेलन में समान नागरिक संहिता को लेकर भी चर्चा हुई। इस दौरान साफ तौर पर कहा गया कि समान नागरिक संहिता यानी कॉमन सिविल कोड मंजूर नहीं होगा, क्योंकि इसे लागू करना संविधान का उल्लंघन है। मंच से सीधे तौर पर कहा गया कि इस्लामिक कायदे-कानूनों में हम किसी तरह की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे।
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ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह विवाद जाहिर की नाराजगी

जमीयत ने प्राचीन इबादतगाहों पर बार-बार विवाद खड़ा करके देश में अमन-शांति को खराब करने वाली शक्तियों और उनको समर्थन देने वाले राजनीतिक दलों के रवैये पर भी गहरी नाराजगी जाहिर की। कहा गया कि वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह और दीगर मस्जिदों के खिलाफ इस समय ऐसे अभियान चल रहे हैं, जिससे देश में अमन-शांति और उसकी गरिमा और अखंडता को नुकसान पहुंच रहा है। अब इन विवादों को उठाकर साम्प्रदायिक टकराव और बहुसंख्यक समुदाय के वर्चस्व की नकारात्मक राजनीति के लिए अवसर निकाले जा रहे हैं।
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