शासन ने यह कार्रवाई सहारनपुर जिलाधिकारी अखिलेश सिंह की रिपोर्ट के आधार पर की है। दरअसल सहारनपुर जिलाधिकारी की जांच में यह बात सामने आई थी कि सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडर होने के बावजूद रोगियों को ऑक्सीजन सप्लाई नहीं हो पाई। प्रिंसिपल लगातार इस मामले में लापरवाही बरतते रहे। जिलाधिकारी की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया कि बार-बार निर्देशित करने के बाद भी प्रिंसिपल की ओर से मामले काे गंभीरता से नहीं लिया गया। रात में उनका फोन भी स्विच ऑफ रहता है। जिलाधिकारी की इसी रिपोर्ट के आधार पर प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया गया है।
दरअसल हाल ही में जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया था। इस दौरान यह बात सामने आई थी कि मेडिकल कॉलेज में कुल 300 ऑक्सीजन सिलेंडर थे लेकिन इनमें से 40 ऑक्सीजन सिलेंडर ऐसे थे जिनकी नोजल खराब थी। केवल नोजल खराब होने की वजह से ही रोगियों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाई। जब इस बात की छानबीन की गई तो ऑक्सीजन प्रभारी डॉ नवाब सिंह ने बताया कि खराब नोजल के बारे में प्रिंसिपल को कई बार अवगत कराया गया लेकिन उन्होंने इस और कोई गंभीरता नहीं दिखाई। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि प्रिंसिपल केवल डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाने में व्यस्त रहते हैं।र कोरोना जांच बढ़ाने के शासन के निर्देश हैं लेकिन सहारनपुर मेडिक कॉलेज में सैकड़ों की संख्या में आरटी पीसीआर जांच वेटिंग में हैं। जिलाधिकारी ने शासन काे यह भी लिखा कि छोटे-मोटे निर्णय लेने में भी प्रिंसिपल देरी करते हैं जिससे कायों में बेवजह देरी हाेती है। जिलाधिकारी की इसी रिपोर्ट पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया गया।