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सहारनपुर

विश्व जनसंख्या दिवस : परिवार नियोजन को लेकर महिलाएं अधिक सजग

World Population day महिलाएं स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचकर खुद कर आ रही है नसबंदी, पांच साल में 11877 महिलाओं के सापेक्ष महज 247 पुरुषों ने कराई नसबंदी

सहारनपुरJul 11, 2021 / 04:35 pm

shivmani tyagi

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family planning

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
सहारनपुर ( Saharanpur ) बढ़ती जनसंख्या ( growing population ) पर नियंत्रण को लेकर पुरुषों से अधिक महिलाएं सजग हैं। सरकार अब जनसंख्या कानून ला रही है लेकिन महिलाओं ने पहले ही इस ओर कदम बढ़ा दिया था। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि खुद सरकारी आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं।
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आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पिछले पांच वर्षों में 11,877 महिलाओं के सापेक्ष महज 247 पुरुषों नहीं नसबंदी कराई। आंकड़े बताते हैं कि महिलाएं परिवार नियोजन को लेकर अधिक संजीदा हैं और वह खुद स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचकर अपनी नसबंदी करा रही हैं। यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश के प्रथम जिले सहारनपुर का है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी यही हाल हैं। परिवार नियोजन की योजनाओं को महिलाएं गंभीरता से ले रही हैं लेकिन पुरुष अभी भी इस मामले को लेकर कम संवेदनशील ही दिखाई पड़ते हैं। सहारनपुर जिला अस्पताल से मिले आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो यह आंकड़े बेहद चौका देने वाले हैं। यहां वर्ष 2016-17 में 2899 महिलाओं ने नसबंदी कराई थी जबकि पूरे वर्ष में महज 40 पुरुष की नसबंदी कराने पहुंचे थे। इसी तरह से वर्ष 2017-18 में भी महज 41 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई जबकि नसबंदी कराने वाली महिलाओं की संख्या 2659 थी।
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वर्ष 2018-19 में 57 पुरुष नसबंदी कराने के लिए पहुंचे जबकि महिलाओं की संख्या 2159 थी। इसी तरह से वर्ष 2019-20 में भी महिलाओं और पुरुषों के बीच का ग्राफ काफी दूर रहा। इस वर्ष 2397 महिलाओं ने नसबंदी कराई जबकि पुरुषों की संख्या केवल 84 ही रही। अब तक 2020-21 में 1763 महिलाएं नसबंदी करा चुकी हैं जबकि पुरुषों की संख्या महज 26 ही हो पाई है। अगर उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों का आंकड़ा उठाया जाए तो वहां भी इसी तरह का ग्राफ मिलता है और इससे साफ पता चल जाता है कि पुरुष अभी भी परिवार नियोजन ( family planning ) को लेकर सजग नहीं हैं महिलाएं अधिक सजग हैं।
आज भी है भ्रांति
जब हमने इस बारे में जिला अस्पताल के चिकित्सकों से बात की तो उन्होंने बताया कि समय-समय पर गांव गांव जाकर और नगर क्षेत्र में भी लोगों को जागरूक किया जाता है और उन्हें परिवार नियोजन के लिए प्रेरित भी किया जाता है लेकिन अभी भी पुरुषों में यह भ्रम है कि नसबंदी कराने से उनमें कमजोरी आ जाती है। ऐसे में पुरुष नसबंदी कराने से पीछे हटते हैं। अधिकांश ऐसे परिवार हैं जो मजदूरी करते हैं और मेहनत का काम करते हैं ऐसे परिवारों में जनसंख्या तेजी से बढ़ती है लेकिन इन परिवारों के मुखिया मेहनत करने का बहाना बनाकर नसबंदी से बचते हैं। इस भ्रांति पर चिकित्सकों का कहना है नसबंदी कराने से किसी भी तरह की कमजोर व्यक्ति को महसूस नहीं होती।
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सहारनपुर जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर संजीव मांगलिक ने भी इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि नसबंदी कराने के लिए पुरुषों और महिलाओं को लगातार जागरूक किया जा रहा है। आशाएं और अन्य स्वास्थ्यकर्मी इस कार्य को करते हैं लेकिन पुरुष परिवार नियोजन को लेकर इतने गंभीर नहीं हैं जितनी कि महिलाएं संजीदा दिखाई देती हैं। यही कारण है कि महिलाओं का ग्राफ ऊपर है और पुरुष अभी भी बेहद फिसड्डी हैं।

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