2009 में खलीलाबाद से बदलकर संतकबीरनगर हुआ 2009 में नाम बदलकर संतकबीरनगर किया गया। यहां जनता दल, बसपा व कांग्रेस ने भी दो से तीन बार जीत दर्ज की है। संत कबीर की धरती के रूप में विख्यात इस सीट पर कोई प्रत्याशी हैट्रिक नहीं लगा सका है। खलीलाबाद लोस क्षेत्र सृजन के बाद यहां भारतीय जनसंघ के आर सिंह सांसद बने। जबकि अधिकतर सीटों पर कांग्रेस का प्रभाव था।वर्ष 1971 के चुनाव में कांग्रेस के कृष्ण चंद्र पांडेय ने जीत दर्ज की। इसके बाद छठवीं लोकसभा का चुनाव हुआ।
जिसमें भारतीय लोकदल के बृजभूषण तिवारी निर्वाचित हुए। 1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और कृष्ण चंद्र पांडेय दोबारा संसद पहुंचे। आठवीं लोकसभा के चुनाव में भी कांग्रेस का ही प्रभाव रहा। प्रत्याशी के रूप में चंद्रशेखर ने जीत हासिल की।यहां लगातार दो बार की जीत के बाद 1989 में मतदाताओं ने जनता दल के रामप्रसाद चौधरी को सांसद बनाया।
1991 की राम लहर में BJP ने खोला खाता वर्ष 1991 में रामलहर के बीच हुए चुनाव में भाजपा ने पहली बार अपना खाता खोला और अष्टभुजा प्रसाद शुक्ल विजयी हुए। हालाकि 1996 में जनता दल ने फिर जीत दर्ज की। इस बार पार्टी प्रत्याशी सुरेंद्र यादव संसद पहुंचे।इसके बाद बारहवीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा के इंद्रजीत मिश्र तथा तेरहवीं लोकसभा के लिए सपा के भालचंद्र यादव विजयी हुए।
चौदहवीं लोकसभा के चुनाव में भालचंद्र यादव बहुजन समाज पार्टी से मैदान में आए और दोबारा संसद पहुंचे। पंद्रहवीं लोकसभा के चुनाव हुए। इसी समय खलीलाबाद का नाम बदलकर संतकबीरनगर किया गया। इस बार बसपा ने फिर जीत दर्ज की लेकिन प्रत्याशी भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी रहे।
2014, 2019 में BJP जीती कुशल यहां 2008 के उपचुनाव में भी बसपा से ही जीते थे। सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा तीसरी बार यह सीट जीती। पार्टी के टिकट पर शरद त्रिपाठी निर्वाचित हुए। सत्रहवीं लोकसभा के लिए भाजपा के ही प्रवीण निषाद ने जीत दर्ज की। प्रवीण निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डा. संजय निषाद के पुत्र हैं। अब पार्टी हैट्रिक लगाने के लिए ताकत झोंकेगी।