मिली जानकारी के अनुसार जिपं सीईओ ऋजु बाफना ने जब मझगवां जनपद का दौरा किया तो उन्हें यह जानकारी मिली कि चित्रकूट सहित देश के लोगों की आस्था का केन्द्र मानी जाने वाली नदी मंदाकिनी का जल स्तर गरमी के मौसम में काफी कम हो जाता है तो कई स्थानों पर नदी में पानी बिल्कुल भी नहीं रहता है। अगर चित्रकूट में स्टाप डैम न बना हो तो यहां मंदाकिनी की स्थिति और खराब होती। स्थितियों को देखते हुए और चित्रकूट की महत्ता को ध्यान में रखकर उन्होंने मंदाकिनी नदी को नदी पुनर्जीवन योजना में शामिल करते हुए इसे सदानीरा बनाने का संकल्प लिया। इसके बाद उन्होंने स्वयं मंदाकिनी के उद्गम स्थल से लेकर चित्रकूट तक पैदल चल कर स्थितियां देखी। दौरे के बाद उन्होंने विस्तृत सर्वे के लिये 12 दल गठित किये।
वृहद सर्वे के बाद पाया गया कि जिला मुख्यालय सतना से 60 किमी दूर व जनपद मुख्यालय मझगवां से 20 किमी दूर ग्राम पंचायत भठवा के ग्राम बरहा स्थित ब्रह्मकुंड के पयस्वनी नदी का उद्गम हुआ है। जो चित्रकूट पहुंच कर मंदाकिनी गंगा व त्रिवेणी के नाम से विख्यात हुई है। पयस्वनी नदी उद्गम से आगे बहने के बाद अमरावती से निकलने वाली मंदाकिनी नदी में मिल जाती है। सतना जिले में मंदाकिनी नदी की लंबाई 31 किलोमीटर के लगभग है। इस नदी से जुड़े व आश्रित गांवों की संख्या 53 है। ये 23 ग्राम पंचायतों में शामिल हैं। इन पंचायतों का 23 हजार हैक्टेयर एरिया मंदाकिनी नदी का कैचमेंट एरिया है। जहां से नदी को पानी मिलता है। लेकिन इस कैचमेंट एरिया के वनों में वृक्षों की व्यापक कटाई सहित विभिन्न अवरोधों के कारण नदीं के प्राकृतिक जल स्रोत बंद हो गए हैं और नदी सूखने की स्थिति में आ गई है।
नदी पुनर्जीवन के लिये मंदाकिनी नदी के सर्वे में जो तकनीकि स्थिति सामने आई है उसके अनुसार बारिश के दिनों में मंदाकिनी नदी में 40 क्यूबिक मीटर प्रति सेकेण्ड की मात्रा में बहाव होता है। लेकिन सामान्य दिनों में यह स्थिति 10 क्यूमैक्स हो जाती है। गरमी में तो यह और घट जाती है तो कुछ स्थानों में नगण्य हो जाती है। ऐसे में लक्ष्य यह रखा गया है कि नदी का बारह मासी बहाव 25 से 30 क्यूमैक्स रखा जाए। इसके कैचमेंट इलाकों में जल स्तर की वर्तमान स्थिति कुए की 15 से 20 फीट औसत है तो ट्यूब वेल की 150 से 200 फीट औसत है। लक्ष्य रखा गया है कि कुए का जल स्तर 5 से 10 फीट व ट्यूब वेल का 100 फीट तक लाया जाए।
मंदाकिनी को सदानीरा रखने के लिये जो उपचार किया जाना है उसे तीन हिस्सों में बांटा गया है। इसमें रिज लाइन ट्रीटमेंट (रिचार्ज जोन), समतल इलाका (ट्रांजिट जोन) और निकासी हिस्सा (डिस्चार्ज जोन) शामिल है। प्लान के अनुसार उपचार के लिये जो काम होंगे उसमें कंटूर ट्रंच के जरिये छोटे-बडे गड्ढे और खाई बना कर बारिश के पानी को जमीन के अंदर भेजा जाएगा। कैचमेंट एरिया में बहने वाले मौसमी नदी नालों में गैबियान स्ट्रक्चर बना कर पानी का बहाव रोका जाएगा। इसके अलावा वाटर शेड की अन्य संरचनाएं बना कर ज्यादा से ज्यादा बारिश के पानी को जमीन में पहुंचाएंगे साथ ही गांवों में तालाब और खेत तालाब भी बनाए जाएंगे। मंदाकिनी सहित अन्य नदी नालों में भी स्टाप डैम भी आवश्यकतानुसार बनाए जाएंगे।
जो डीपीआर तैयार हुआ है उसमें प्राथमिक तौर पर कंटूर ट्रंच की संख्या राजस्व इलाके में 2 लाख के लगभग, वन भूमि में ढाई लाख, गैबियान संरचना राजस्व भूमि में 12 व वन में 15, लूज बोल्डर संरचना राजस्व भूमि में 20 व वन में 16 के लगभग निर्मित की जाएगी। इसी तरह तालाब राजस्व भूमि में 27 व वन में 13 के लगबग बनाए जाएंगे। इसमें आवश्यकता के अनुसार और बढ़ोत्तरी की जा सकेगी।