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सतना

जननी एक्सप्रेस संचालन में बड़ा घोटाला, फर्जी कालर के जरिये बेमानी परिवहन कर बढ़ा रहे दूरी

क्षेत्रीय सेवाओं के लिये नहीं मिल पाता है वाहन, लाखों का खेल हो रहा हर माह
कलेक्टर ने कहा मामला गंभीर, कराएंगे जांच होगा सुधार

सतनाFeb 16, 2020 / 02:11 am

Ramashankar Sharma

Big scam in Janani Express operations by fake call

Big scam in Janani Express operations by fake call

सतना. जननी को बेहतर परिवहन सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर चलाई जा रही जननी एक्सप्रेस व्यवस्था में बड़ा घोटाला सतना में सामने आया है। इसमें फर्जी कॉलर के जरिये जननी वैन को बेमानी स्थानों के लिये फेक आईडी (संबंधित स्थल के लिये बुक कराना) जनरेट कराई जाती है। उसके बाद फाल्स मरीज का परिवहन दिखा कर इसका भुगतान लिया जाता है। इसके लिये एक और बड़ा खेल किया जाता है कि फेक कॉलर के जरिये प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में तैनात जननी एक्सप्रेस को जिला मुख्यालय बुला लिया जाता है। इसके बाद अस्पताल से फेक मरीज को दूरस्थ इलाकों के लिये भेज कर रीडिंग बनाई जाती है। जिसका लाखों का फर्जी भुगतान तैयार कर सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा है। मामले का खुलासा बिरसिंहपुर पीएचसी में तैनात जननी से हुआ है। मामले में जिम्मेदारों ने चुप्पी साध ली है तो कलेक्टर ने इस मामले को गंभीर मानते हुए इसकी जांच की बात कही है।
इस तरह होता है खेल
ग्रामीण क्षेत्रों में जननी को घर से अस्पताल और अस्पताल से घर लाने के लिये जननी एक्सप्रेस तैनात की गई है। लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर इस वाहन के चलने से दूरी ज्यादा न होने पर वाहन की किलोमीटर रीडिंग कम बनती है और इसका भुगतान कम होता है। लिहाजा जननी एक्सप्रेस आपरेटर इसके लिये सुबह भोपाल स्थित 108 जननी एक्सप्रेस कॉल सेन्टर पर एक फेक (फर्जी) कॉलर के जरिये काल करवाते हैं। जिसमें संबंधित ग्रामीण क्षेत्र से जिला अस्पताल ले जाने की बात कही जाती है। इस कॉल की आईडी जनरेट करने के बाद काल सेन्टर से जननी को संबंधित क्षेत्र से जननी को लेकर जिला अस्पताल ले जाने आई प्रदान की जाती है। हकीकत में यह एक फर्जी परिवहन होता है। इस आईडी के जरिये जननी एक्सप्रेस सुबह जिला अस्पताल पहुंच जाती है। यहां से एक नया खेल शुरू होता है। जिसमें जिला अस्पताल में भर्ती जननी का हवाला देकर उसे वापस घर पहुंचाने के लिए दूरस्थ इलाके के लिये फिर काल कराई जाती है। जबकि इस नाम की कोई जननी जिला अस्पताल में नहीं होती है। लिहाजा खाली जननी एक्सप्रेस संबंधी रूट पर दौड़ती है। जिससे जननी एक्सप्रेस का किलोमीटर बढ़ता है।
इस तरह हुआ खुलासा
पत्रिका को लगातार बिरसिंहपुर में जननी एक्सप्रेस नहीं मिलने की शिकायत मिल रही थी। इस पर इसका सत्यापन किया गया तो लगातार कई दिनों से सुबह जननी एक्सप्रेस को जिला अस्पताल बुला लिया जाता था। जहां से वह वापस लौट कर नहीं आ रही थी। इधर अस्पताल में भर्ती प्रसूता को घर वापसी के लिये वाहन नहीं मिल पा रहा था। जब इनका सत्यापन किया गया तो मामले में बड़ा खेल सामने आया। हालांकि इस मामले में स्थानीय चिकित्सकों से बात की गई तो उन्होंने ऐसी जानकारी से इंकार किया और कहा कि मामला काल सेंटर से जुड़ा होता है लिहाजा उनकी जानकारी में यह मामले नहीं आते।
सत्यापन की खामी का फायदा
जननी एक्सप्रेस सत्यापन की कोई ठोस व्यवस्था नहीं होने पर इसका फायदा वेन्डर उठा रहा है। न तो जिला अस्पताल से मरीज को ले जाने की सत्यापन का कोई चेक प्वाइंट है न ही जिला अस्पताल लाने या फालोअप के लिये लाने का कोई चेक प्वाइंट सत्यापन का तय है। इसमें सिर्फ जननी एक्सप्रेस के चालक की लॉग बुक और भोपाल कॉल सेन्टर की आईडी से मिलान के आधार पर भुगतान होता है। जितने किलोमीटर वाहन चलता है उतना ज्यादा भुगतान होता है।
हर दिन 500 किलोमीटर का लक्ष्य
पत्रिका ने इस मामले में जब जननी एक्सप्रेस के चालकों से बात की तो कई चालकों ने इसकी पुष्टि की। चाहे वह अमरपाटन या मझगवां तहसील के जननी के वाहन चालक हों या अन्य तहसीलों के सभी ने नाम न छापने पर यह खुल कर बताया कि वेन्डर उन्हें दबाव देता है कि प्रतिदिन 500 किलोमीटर वाहन चलना चाहिए। इसके लिये चाहे फाल्स कॉलर आईडी कराएं या फिर कुछ भी करें। इस दबाव में यह पूरा खेल किया जाता है। इसमें चालक और वेन्डर की मिली भगत होती है और वेन्डर और चालक स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी कालर तैयार किये जाते हैं।
यह है नुकसान
– वास्तविक हितग्राहियों को समय पर वाहन नहीं मिलता है।
– फर्जी वाहन चलने से सरकारी खजाने को लाखों का नुकसान हो रहा है।
– आपात स्थितियों में स्वास्थ्य केन्द्रों में वाहन उपलब्ध नहीं होता है।
– क्षेत्र में स्वास्थ्य परिवहन सेवाओं की कमी होती है।
होगी जांच, कराया जाएगा सुधार : कलेक्टर

मामले में कलेक्टर सतेन्द्र सिंह ने भी माना कि यह गंभीर स्थिति है। उन्होंने कहा कि सभी वाहनों में जीपीएस व्यवस्था को सुनिश्चित करते हुए तय एरिया में ही वाहन चलाने की व्यवस्था कराई जाएगी। साथ ही इसकी पड़ताल भी कराई जाएगी। अगर फर्जीवाड़ा सामने आता है तो सख्त कार्रवाई होगी।

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