सतना। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डॉ परीक्षित झाड़े जब सतना में बतौर जिला पंचायत सीईओ पदस्थ हुए थे, उस वक्त जिले की हाईस्कूल परीक्षा का परिणाम बेहद खराब था। शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता में रखने वाले डॉ परीक्षित ने इन खराब परिणामों को सुधारने मिशन के रूप में काम किया। उन्होंने विद्यालयवार यूनिट टेस्ट प्रारंभ करवाए और कॉपियों का मूल्यांकन जिला पंचायत स्तर पर करवाया। पठन पाठन व्यवस्था की निगरानी खुद भी शुरू की और विद्यालयों का औचक निरीक्षण प्रारंभ किया। इसका नतीजा यह रहा कि अगले सत्र में सतना जिले के हाईस्कूल परीक्षा परिणामों में 12 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई। इनकी नई पदस्थापना अब मध्यप्रदेश शासन में अपर आयुक्त नगरीय प्रशासन भोपाल के रूप में हुई है। सोमवार को जिला प्रशासन और जिला पंचायत की ओर से उन्हें भावभीनी विदाई दी गई। इस अवसर पर कलेक्टर अनुराग वर्मा, एसपी आशुतोष गुप्ता, निगमायुक्त अभिषेक गहलोत सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कार्यक्रम में नेहा चौधरी वर्मा और डॉ यशस्वी झाड़े भी उपस्थित रहीं।
निर्विवाद कार्यकाल विदाई समारोह में कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कहा कि जिला पंचायत के सीईओ डॉ झाड़े का ढाई वर्षीय कार्यकाल निर्विवाद और विकास योजनाओं के धरातल पर क्रियान्वयन के लिए सुखद और अविस्मरणीय रहा। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानांतरण पर कार्य क्षेत्र के साथ ही सिस्टम का बदलाव भी होता है। कलेक्टर ने कहा कि बड़े आयोजन और ग्रामीण विकास की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी डॉ झाड़े को सौंप कर निश्चिंतता का भाव रहता था।
जिले को बेहतर जानने का अवसर मिला एसपी आशुतोष गुप्ता ने कहा कि सतना जिले में पूर्व से पदस्थ सीईओ जिला पंचायत डॉ झाड़े से जानकारी लेकर जिले को बेहतर जानने का अवसर भी मिलता था। वे अच्छे ब्रिलियेंट ऑफिसर हैं और हमेशा इसी टेंपरामेंट को बनाये रखें। आयुक्त नगर निगम अभिषेक गहलोत ने कहा की कठिनाइयों का आसानी से निराकरण कर शासकीय कार्यों का कुशलता पूर्वक निष्पादन सीईओ डॉ झाड़े की पहचान है। इस अवसर पर डॉ परीक्षित ने अपने कार्यकाल की यादें साझा कीं।
जिले को दिलाई पहचान बतौर जिला पंचायत सीईओ डॉ परीक्षित ने सतना जिले को 127 नये तालाब दिए। 950 पुराने तालाबों और स्टाप डैम का जीर्णोद्धार कर उन्हें बारह मासी बनाया। मनरेगा में वर्क कम्पलीशन और कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र के मामले में सतना हमेशा टॉप 5 जिलों में रहा। उन्होंने ग्रामीण हितग्राहियों को 1.18 लाख आवास समय पर बनवा कर दिए। डीएमएफ मद से शैक्षणिक विकास के लिए कई छात्रावास, स्कूल भवन बनवाए। जिला अस्पताल आज जिस स्वरूप में दिख रहा है वह उनकी देन है। जिला अस्पताल को निजी अस्पताल का स्वरूप देने में उनकी महती भूमिका रही। इसके अलावा अर्बन सीएचसी और एंबुलेंस भी डीएमएफ मद से देकर स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया। खुद एमबीबीएस होने के नाते इस क्षेत्र में उन्होंने बढ चढ़ कर काम किया। डिग्री कॉलेज को ओपन एअर ऑडीटोरियम दिया तो व्यंकट 2 स्कूल को मल्टीपरपज हॉल देकर यहां की शैक्षणिक सुविधा में बढ़ोत्तरी का काम किया।
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