स्पोट्र्स, एनॉलिटिकल, बैंकिंग और मोरल एजुकेशन पर भी फ ोकस किया जाएगा। एकेडमिक सत्र 2019 से लागू होने जा रहे इस सिस्टम में रिपीटेड कंटेंट हटाए जाएंगे। यानी एक क्लास पास करने के बाद स्टूडेंट्स जो पहले से पढ़ चुके हैं अब वह किताबों में नहीं दिया जाएगा। टीचर्स नए सेशन में टॉपिक पढ़ाने से पहले ओल्ड टॉपिक्स खुद ही रिवाइज करवाएंगे, जिससे स्टूडेंट्स का रिवीजन हो जाए। इससे चैप्टर की लेंथ छोटी होगी और सिलेबस भी कम होगा।
यह हंै बदलाव के कुछ कारण सिलेबस को कम करने के पीछे का कारण स्टूडेंट्स को सिर्फ पढ़ाई तक सीमित रखना नहीं है। सिलेबस में मोरल एजुकेशन, फि जिकल एजुकेशन और स्किल्स को भी जगह दी जाएगी। इस बदलाव का अन्य कारण है कि स्टूडेंट्स को रटन ज्ञान से आजाद कराकर प्रैक्टिकल और एनॉलिटिकल लर्निंंग पर फ ोकस करना होगा। एचआरडी मिनिस्ट्री सिलेबस में सिर्फ वही शामिल करना चाहती है जो स्टूडेंट्स के लिए आगे जाकर भी उपयोगी हो। इससे उनके कंधे से एक्स्ट्रा बहुत भी हटेगा।
सिलेबस कम होने से स्टूडेंट्स पर वर्डन कम होगा। रटकर पढऩे की पद्धति खत्म होगी और प्रैक्टिकल नॉलेज पर जोर दिया जाएगा। स्पोट्र्स, मोरल वैल्यूज और लाइफ स्किल्स पर ध्यान दिया जाएगा।