1. तरूण सिंह रीवा
रीवा के इटौरा निवासी तरूण सिंह इसरो में सीनियर वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं। वे चंद्रयान-3 के कैमरा सेक्शन की टीम में शामिल हैं। यह टीम चंद्रयान 3 की चंद्रमा से पूरी तस्वीरें इसरो को भेजती है। साथ ही दुनिया को चांद पर लैंडिंग का सीधा प्रसारण दिखाने में भी तरूण की अहम भूमिका रही। तरूण की शिक्षा गांव से शुरू हुई थी। इनके पिता दिलराज सिंह शिक्षक रहे हैं। कक्षा 6वीं से 12वीं तक की पढ़ाई रीवा के सैनिक स्कूल से की। इंदौर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। जूनियर इंजीनियर के रूप में तिरुवनंतपुरम से काम की शुरुआत की थी। तरुण नेहरू नगर निवासी राजपाल और कांति के दामाद हैं।
2. ओम पाण्डेय
सतना के करसरा निवासी इसरो वैज्ञानिक ओम पांडेय भी फरवरी महीने से इस अभियान में जुटे हैं। चंद्रयान के प्रक्षेपण के बाद से उस पर हर सेकंड की निगरानी इनकी रही। ओम पांडेय मॉरीसस से टीम के साथ निगरानी में थे। चंद्रयान-3 मिशन का अहम हिस्सा रहे सतना के ओम पांडेय करसरा गांव के मूल निवासी हैं। ओम मॉरीसस के इसरो मॉनीटरिंग सेंटर से भूमिका निभा रहे थे।टीम का जिम्मा अर्थबाउण्ड फेज में चंद्रयान की आर्बिट को रेज करना है। सामान्य भाषा में कहें तो इस चरण में चंद्रयान के परिक्रमा पथ को बढ़ाते हुए क्रमश: दूर जाने के हर पल पर नजर रही है। उनकी पत्नी शिखा इन दिनों मायके रीवा शहर के नेहरू नगर में हैं।
3. प्रियांशु मिश्रा उमरिया
उमरिया के प्रियांशु मिश्रा की भी भूमिका है। प्रियांशु विक्रम साराभाई अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र तिरुवनंतपुरम केरल में एसएफ के पद पर पदस्थ हैं। इन्होंने ट्रेजेक्टरी डिजाइन के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाई है। देहरादून से बीटेक और रांची से एमटेक करने के बाद वर्ष 2009 में इसरो में ज्वाइन कर लिया था। प्रियांशु के पिता विनोद मिश्रा चन्द्रयान की सफलता पर बेहद खुश हैं। पत्रिका से बातचीत में वे भावुक हो गए।