सब जान बचाने के लिए किया नीरज ने बताया कि उसने गलती जरूर की है, लेकिन यह गलती किसी की जान बचाने के लिए की है। उनके पिता कामता गुप्ता को हार्ट अटैक आया था। हालत काफी गंभीर थी। जब जिला अस्पताल पहुंचा तो वहां गेट पर न तो वार्ड ब्वाय मौजूद था न ही स्ट्रेचर। एक-एक सेकेण्ड भारी थे। तत्काल इलाज मिले इसलिए सीधे बाइक लेकर अंदर वार्ड तक गया। तत्काल पिता को चिकित्सा कर्मियों के हवाले कर बाइक बाहर ले आया।