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सतनाः पैदा किए जाने थे उन्नत बीज, जमीन ही खनन के लिए दे दी

10 मीटर अतिरिक्त जमीन पर भी लीज धारक ने किया कब्जा, राज्य मंत्री की बैठक में हुआ खुलासा

सतनाFeb 22, 2024 / 11:30 am

Ramashankar Sharma

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सतना। कृषि प्रक्षेत्र रेवरा फार्म की जिस जमीन पर उन्नत बीज तैयार कर जिले के किसानों को दिए जाने थे उस जमीन का 65 एकड़ हिस्सा खनन लीज के लिए दे दिया गया है। इतना ही नहीं शेष बची फार्म की जमीन पर भी लीज धारक ने 10 मीटर अंदर तक कब्जा कर अपने मुनारे गाड़ दिए हैं। यह खुलासा राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी की समीक्षा बैठक में हुआ। इस पर उन्होंंने नाराजगी जाहिर करते हुए फार्म की संपूर्ण जमीन का सीमांकन कराने के साथ ही अतिक्रमित 10 मीटर की जमीन मुक्त कराने के निर्देश दिए। बीज निगम के रेवरा फार्म के पास मौजूदा दौर में 427 एकड़ जमीन होने के बाद भी घाटे में चलने पर बीज निगम के जिला प्रबंधक रामस्वरूप जाटव को फटकार लगाई। बैठक में महापौर योगेश ताम्रकार, कलेक्टर अनुराग वर्मा, निगमायुक्त अभिषेक गहलोत, उप संचालक कृषि, उप संचालक उद्यानिकी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
मंत्री को आना है तो जारी कर दिया नोटिस

समीक्षा बैठक की शुरुआत में मंत्री प्रतिमा ने रेवरा फार्म की 40 एकड़ निगम को आवंटित जमीन में स्थापित जमीन के गायब 2 करोड़ की मशीनरी को लेकर सवाल किया। पूछा कि निरीक्षण के बाद रेमकी कंपनी को नोटिस जारी किया गया है। जिस पर बताया गया कि 19 फरवरी को नोटिस दिया है। इस पर मंत्री ने नाराजगी जताते हुए कहा कि 11 को निरीक्षण हुआ और 19 को नोटिस इसलिए जारी कर दिया कि 20 को मंत्री की बैठक है। इसके बाद सवाल किया कि निगम को दी गई जमीन पर खनन करने वालों का निर्माण कैसे हो रहा है। जिस पर बताया गया कि सैटेलाइट सर्वे में 10 मीटर आगे तक आ गए हैं। जबकि वास्तविक सर्वे में यह अतिक्रमण है। इस पर कलेक्टर ने जिला खनिज अधिकारी को कहा कि वास्तविक सीमांकर करवाकर 10 मीटर आगे लगाए गए मुनारों को पीछे करवाए। इसके साथ ही बीज निगम की रेवरा फार्म वाली जमीन का सीमांकन करवाएं।
4 हजार क्विंटल वाली जमीन में 500 क्विंटल उत्पादन

मंत्री ने बीज निगम के जिला प्रबंधक जाटव से पूछा कि रेवरा फार्म घाटे में चल रहा है या फायदे में तो जवाब घाटे में चलने का आया। कारण पर बताया कि स्टाफ कम है और फेंसिंग नहीं है। इस पर मंत्री ने कहा कि मेरे भी खेतों में फेंसिंग नहीं है। स्टाफ की कमी के लिए क्या किया तो इसका भी स्पष्ट जवाब नहीं मिला। बताया कि सिंचाई की सुविधा भी नहीं है। इस पर उप संचालक ने कहा कि राई, अरहर, सरसों जैसी कई फसले हैं जिनमें पानी की जरूरत नहीं है। अगर ये सही उत्पादन करते तो हमें जिले के लिए चने का बीज बाहर से नहीं लेना पड़ता। आत्मा डायरेक्टर राजेश त्रिपाठी ने कहा कि कुसुम का उत्पादन करें तो उसमें न पानी लगता न जानवर खाते हैैं। उत्पाद की जानकारी में जाटव ने 500 क्विंटल उत्पादन होना बताया। इस पर मंत्री ने डीडीए से पूछा तो उन्होंने कहा कि इस जमीन पर 4 हजार क्विटंल उत्पादन होना चाहिए। इस पर जाटव ने कहा कि नया आया हूं इसलिए ज्यादा जानकारी नहीं है। इसपर कलेक्टर ने कहा कि कितने दिन हुए आए। 8 महीने बताने पर कलेक्टर ने फटकार लगाई कि क्या 10 साल चाहिए तुम्हे पुराना होने के लिए लिये। कभी मैने तुम्हे नहीं देखा। टीएल तक में नहीं आते हैं। आज तक कभी अपनी समस्या बताई क्या मुझे। मंत्री ने बीज निगम के 5 साल के उत्पादन और स्टाफ आदि की पूरी जानकारी समक्ष में प्रस्तुत करने कहा। कलेक्टर ने कहा कि केवीके जाकर देखें कि कैसे फार्म विकसित किया जाता है।
इसलिए 10 अंक घट गए सतना के

मंत्री ने निगम से पूछा कि 2 करोड़ की मशीनें गायब है। सारे संसाधन रेमकी को दे दिए। उसका लाभ कुछ नहीं है। इस नुकसान की भरपाई कैसे होगी। इस पर महापौर ने कहा कि अगर यह मशीन यहां होती तो स्वच्छ सर्वेक्षण में सतना को 10 अंक और मिल जाते, लेकिन इसके न होने से यह घट गए। मंत्री ने अधिकारियों से सवाल किया कि जब विधानसभा में सवाल होता है या अखबार में छपता है तभी आपको ध्यान आता है। जबकि यह आपकी जिम्मेदारी है। इसकी पूरी रिपोर्ट और नोटिस का जवाब मुझे शीघ्र चाहिए।
काम करने वाले चोर बता दिए गए

सीवर लाइन में बिना सुरक्षा के गहरे घुस कर काम करने के वायरल वीडियो पर सवाल किया तो निगमायुक्त ने बताया कि वो काम करने वाले नहीं थे। अंदर लोहा चुराने घुसे हुए थे। यह सुन बैठक में फुसफुसाहट का माहौल हो गया।
बनाए सोलर प्लांट का प्लान

मंत्री ने कहा कि नीमच में नगरीय निकाय खुद की बिजली उत्पादित कर रहा है। उसी तरह से इस 40 एकड़ की जमीन पर सोलर प्लांट का प्लान बनाए। साथ ही कलेक्टर से अपेक्षा की कि शिवराजपुर और दुर्गापुर में रिक्त पड़ी 500 एकड़ जमीन पर सोलर प्लांट से विद्युत उत्पाद की संभावनाएं तलाशे।
किसी को पता नहीं कहा जाता है मेडिकल वेस्ट

मंत्री ने कहा कि शहर के अस्पतालों से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट कहा जाता है, इसका निष्तारण कैसे होता है? लेकिन इसकी जानकारी बैठक में मौजूद कोई अधिकारी नहीं बता सका। बिजली विभाग की समीक्षा में कहा गया कि ट्रासफार्मर शीघ्रता से बदले। जहां तक वसूली की बात है तो खरीदी के वक्त किसानों से लिया जाए।
जब दी झूठी जानकारी

सोहौला में जल जीवन मिशन की पानी सप्लाई होने की बाद ईई पीएचई ने दी। कहा कि सब सही है। लेकिन सरपंच वहां सरकारी अमले को काम नहीं करने दे रहा है। जबकि सरपंच से जानकारी चाही गई तो उसने कहा कि यहां सब बिगड़ा पड़ा है। कोई जांच करने नहीं आया है।

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