scriptराजस्थान के इस मंदिर में हर साल आती हैं 50 हजार चिट्ठियां, डाक विभाग ने लगा रखा है डाकिया | Ganesh Chaturthi Special Story 2023: Trinetra Ganeshji receives 50 thousand letters in year | Patrika News
सवाई माधोपुर

राजस्थान के इस मंदिर में हर साल आती हैं 50 हजार चिट्ठियां, डाक विभाग ने लगा रखा है डाकिया

यूं तो देश भर में प्रथम पूज्य भगवान गणेश के कई मंदिर हैं। लेकिन सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर दुर्ग में त्रिनेत्र गणेश का एक मंदिर ऐसा भी हैं, जहां देश भर के भक्त गणेश भगवान को चिट्ठियां भेजकर अरदास लगाते हैं।

सवाई माधोपुरSep 19, 2023 / 12:28 pm

Kirti Verma

trintr.jpg

सवाईमाधोपुर. यूं तो देश भर में प्रथम पूज्य भगवान गणेश के कई मंदिर हैं। लेकिन सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर दुर्ग में त्रिनेत्र गणेश का एक मंदिर ऐसा भी हैं, जहां देश भर के भक्त गणेश भगवान को चिट्ठियां भेजकर अरदास लगाते हैं। इतना ही नहीं, डाक के माध्यम से निमंत्रण पत्र भेजकर विवाह व अन्य मांगलिक समारोह का निमंत्रण भी देते हैं। डाक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार औसतन सालाना रणथम्भौर दुर्ग स्थित त्रिनेत्र गणेश भगवान के नाम से 50 हजार से अधिक चिट्ठियां यहां देश भर से आ जाती हैं। मंगलवार को गणेश चतुर्थी है। ऐसे में पेश है एक रिपोर्ट…

 

डाक विभाग ने लगा रखा डाकिया
त्रिनेत्र गणेश के दर पर आने वाले निमंत्रण पत्रों को पहुंचाने के लिए डाक विभाग की ओर से एक पोस्टमैन को विशेष रूप से लगया गया है। डाक विभाग की ओर से नियुक्त डाकिया सप्ताह में एक बार डाक विभाग को प्राप्त त्रिनेत्र गणेश रणथम्भौर के नाम से प्राप्त डाक को रणथम्भौर दुर्ग स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर प्रबंधन तक पहुंचाता है।

यह भी पढ़ें

गढ़ से मोती डूंगरी तक गूंज उठे जयकारे, घर-घर श्रीगणेश, जन्मोत्सव की देखें हर तस्वीर



पुजारी पढ़कर सुनाते हैं
मंदिर महंत संजय दाधीच, हिमांशु गौतम ने बताया कि रणथम्भौर दुर्ग स्थित त्रिनेत्र गणेश के नाम से आने वाले सभी पत्रों को मंदिर के पुजारी द्वारा पहले त्रिनेत्र गणेश के चरणों में अर्पण किया जाता है। इसके बाद पुजारी पत्र या कार्ड को खोलकर भगवान गणेश को पढ़कर सुनाते हैं। इसके बाद ही त्रिनेत्र गणेश का निमंत्रण पूर्ण माना जाता है।

परिवार सहित विराजमान हैं श्रीगणेश
मंदिर महंत दाधीच ने बताया कि त्रिनेत्र गणेश का मंदिर जिले के रणथंभौर में स्थित है। यह मंदिर विश्व धरोहर में शुमार रणथम्भौर दुर्ग के अंदर बना हुआ है। यह दुनिया का इकलौता मंदिर है, जहां गणेश अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान है। गजानन महाराज के साथ उनकी दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि और पुत्र शुभ और लाभ विराजित है। साथ ही उनका वाहन मूषक भी यहां पर है। यहां पर गणेश त्रिनेत्रधारी है और गणेशजी का तीसरा नेत्र उनके ज्ञान का प्रतीक है। मान्यता है कि भारत में गणेशजी की सिर्फ चार स्वयंभू प्रतिमाएं है, जो चिंतामन मंदिर उज्जैन, सिद्दपुर गणेश मंदिर गुजरात, चिंतामन मंदिर सिहोर और त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथंभौर है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण अवंतिकापुरी के राजा हम्मीर ने कराया था और राजा विक्रमादित्य पूर्व में यहां हर बुधवार पैदल दर्शन के लिए आते थे।

यह भी पढ़ें

Ganesh Chaturthi 2023: 5 किलो चांदी की गणेश मूर्ति का गायब होना 47 साल से बना हुआ है रहस्य



घर बनाने से जुड़ी मान्यता भी
रणथम्भौर दुर्ग स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की एक और पुरानी मान्यता है। जिसके अनुसार त्रिनेत्र गणेश केक दर के पास और मार्ग में पत्थरों से एक छोटा सा घर बना देने से भक्तों का स्वयं का घर भी जल्द ही बन जाता है। इस मान्यता के कारण त्रिनेत्र के दर्शनों के लिए आने वाले भक्त मार्ग में पड़े किले के छोटे-छोटे पत्थरों से मार्ग में ही छोटे-छोटे घरों का निर्माण कर देते हैं। ऐसे में त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग में कई स्थानोंप र लोगों द्वारा बनाई गई घरनुमा आकृति देखने को मिल जाती है।

 

यह है पौराणिक मान्यता
साथ ही एक पौराणिक कहानी ये भी कि महाराजा हम्मीरदेव और अलाउद्दीन खिलजी के बीच सन 1299-1301 को रणथंभौर में युद्ध हुआ था। उस समय दिल्ली का शासक अलाउद्दीन खिलजी के सैनिकों ने दुर्ग को चारों ओर से घेर लिया। ऐसे में महाराजा को सपने में भगवान गणेश ने कहा कि मेरी पूजा करो तो सभी समस्याएं दूर हो जाएगी। इसके ठीक अगले ही दिन किले की दीवार पर त्रिनेत्र गणेश की मूर्ति इंगित हो गई और उसके बाद हम्मीरदेव ने उसी जगह भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद कई सालों से चला आ रहा युद्ध भी समाप्त हो गया।

https://youtu.be/ouh–SH1KwQ

Home / Sawai Madhopur / राजस्थान के इस मंदिर में हर साल आती हैं 50 हजार चिट्ठियां, डाक विभाग ने लगा रखा है डाकिया

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो