…इसलिए ब्लैकहोल से प्रकाश नहीं आ पाता बाहर
खगोलविदों का कहना है कि शुरुआती ब्लैकहोल के हिसाब से यह आश्चर्यजनक रूप से बड़ा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कैंब्रिज विश्वविद्यालय के खगोल भौतिकीविद् प्रोफेसर रॉबर्टो मैओलिनो की अगुवाई में शोध के दौरान यह महत्त्वपूर्ण खोज की गई। खगोलविदों ने ब्लैकहोल की अभिवृद्धि डिस्क, गैस और धूल के प्रभामंडल का पता लगाया, जो इसके चारों ओर तेजी से घूमते हैं। ब्लैकहोल इतना गहरा है कि किसी तरह का प्रकाश इससे बाहर नहीं आ पाता। रॉबर्टो मैओलिनो ने कहा कि हमारे लिए हैरानी की बात यह है कि ब्लैकहोल इतना विशाल कैसे हुआ।
आकाशगंगाओं के केंद्र में विशालकाय रूप
खगोलविदों का कहना है कि शुरुआती ब्लैकहोल के अध्ययन से यह समझने में मदद मिल सकती है कि आकाशगंगाओं के केंद्र में ब्लैकहोल कैसे विशालकाय रूप लेते हैं। अब तक माना जा रहा था कि गैलेक्सी के केंद्र में ब्लैकहोल अपने आसपास के सितारों और अन्य चीजों को निगलने के कारण लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन इस ब्लैकहोल की खोज ने खगोलविदों की धारणा बदल दी है।
कहां से आए…
यह ब्लैकहोल जीएन-जेड 11 नाम की आकाशगंगा के अवलोकन के दौरान खोजा गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि या तो यह बड़ा ही पैदा हुआ या तेजी से फूल गया। लंदन के ब्रह्मांड विज्ञानी प्रोफेसर एंड्रयू पोंटजेन ने कहा, यह समझना हमेशा पहेली रहा है कि ब्लैकहोल कहां से आए।
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