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खगोलीय घटना : इस महीने दो उल्का वर्षा से जगमगाएगा आसमान, दक्षिणी गोलार्द्ध में साफ दिखेगी

उल्का वर्षा तब होती हे, जब पृथ्वी किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह द्वारा छोड़े गए मलबे के रास्ते से गुजरती है।

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वाशिंगटन. अनंत ब्रह्मांड में अंसख्य खगोलीय घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन ज्यादातर नजरों से ओझल रहती हैं। इस महीने के आखिर यानी 30 जुलाई को एक नहीं दो ऐसी खगोलीय घटनाएं होने जा रही हैं, जिन्हेंं आप देख सकेंगे। अर्थ डॉट कॉम के मुुताबिक कुंभ (डेल्टा एक्वेरिड्स) और मकर (अल्फा कैपिकॉर्निड्स) राशि के नक्षत्रों से निकलने वाली उल्का वर्षा का शानदार नजारा दक्षिणी गोलार्द्ध और भूमध्य रेखा के करीब स्पष्ट नजर आएगा। हालांकि उत्तरी गोलार्द्ध के दक्षिणी अक्षांशों पर रहने वाले लोग भी इसे चांद निकलने से पहले आधी रात के बाद देख सकते हैं। यह पहचानना थोड़ा मुश्किल हो सकता है कि कौन सा उल्लापिंड किस नक्षत्र से संबंधित है। ये उल्काएं अलग-अलग खगोलीय आकृतियों जैसे ओरियन, पर्सियस और जेमिनी से निकलकर आसमान में रोशनी का मनमोहक मिश्रण पैदा करेंगी। उल्का वर्षा तब होती हे, जब पृथ्वी किसी धूमकेतु या क्षुद्रग्रह द्वारा छोड़े गए मलबे के रास्ते से गुजरती है।

कैसे नजर आती हैं चमकीली धारियां
जब कोई उल्कापिंड पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो उन्हें हम उल्का कहते हैं। इस वक्त इनकी गति 40 हजार से 2 लाख 60 हजार किलोमीटर प्रति घंटे तक होती है। इनकी तेज गति से घर्षण पैदा होता है, जिसके चलते आसमान में चमकीली धारियां नजर आती हैं। इसे हम शूटिंग स्टार कहते हैं। यह ही उल्कापिंड का टुकड़ा पृथ्वी की सतह पर पहुंच जाता है तो इसे उल्कापिंड कहा जाता है।

उल्का वर्षा कैसे होती है
उल्का और उल्कापिंड सौरमंडल में ही देखे जा सकते हैं। आमतौर पर मंगल और बृहस्पति के बीच की बेल्ट में क्षुद्रग्रह अपनी यात्रा करते हैं। इनमें कुछ धुमकेतू के टुकड़े भी होते हैं। जैसे-जैसे धूमकेतु सूर्य के करीब आते हैं, तो वे अपना कुछ हिस्सा खो देते हैं। इनके रास्ते में पृथ्वी गुजरने के कारण यह उल्का वर्षा का दृश्य नजर आता है।