जर्नल में छपी जानकारी-
एक्सोमार्स से मिली जानकारी साइंस एडवांसेस नाम के जर्नल में छपी है। इसे ब्रिटेन ओपन यूनिवर्सिटी के दो साइंटिस्ट ने लिखा है। उनका कहना है कि मंगल ग्रह के वायुमंडल के ऊपर से सूर्य की रोशनी गुजरने पर उसके वायुमंडल में भाप की हल्की परत दिखाई देती है। मंगल ग्रह पर पानी है, तभी तो इसकी भाप मंगल के वायुमंडल में दिखाई दे रही है। यानी कहीं से पानी भाप बनकर लीक हो रहा है।
जीवन के अस्तित्व का संकेत-
नादिर एंड ऑक्लटेशन फॉर मार्स डिस्कवरी नाम का एक उपकरण एक्सोमार्स ऑर्बिटर के साथ ही मंगल ग्रह का चक्कर लगा रहा है। ब्रिटेन ओपन यूनिवर्सिटी के सीनियर लेक्चरर मनीष पटेल के अनुसार कि इस यंत्र ने एक बेहतरीन खोज की है। पटेल ने बताया कि अगर भाप है तो इसका मतलब पानी अब भी है, लेकिन कहां और कितना ये बता पाना अभी मुश्किल है। पानी की मौजूदगी ये बात स्पष्ट करती है कि मंगल ग्रह पर कभी न कभी जीवन का अस्तित्व जरूर रहा होगा।
हाइड्रोजन और ड्यूटीरियम का एक अनुपात मौजूद –
मनीष ने बताया कि मंगल ग्रह के वायुमंडल में हाइड्रोजन और ड्यूटीरियम का एक अनुपात मौजूद है। यानी इतिहास में इस ग्रह पर पानी जरूर रहा होगा। ड्यूटीरियम सेमी हैवी वाटर मॉलीक्यूल है। सूरज की रोशनी पडऩे पर मंगल ग्रह के वायुमंडल में पानी की भाप की हल्की परत उठती है और इसके बाद अंतरिक्ष में गायब हो जाती है।