मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजाति की सीटें मालवा निमाड़ ( Malwa Nimar ) में अधिक हैं तो
शहडोल में भी जनजाति बहुल इलाका है। विंध्य क्षेत्र की शहडोल लोकसभा ( Shahdol lok sabha seat ) शुरु से ही आरक्षित सीट रही है। 2023 के विधानसभा चुनाव में शहडोल लोकसभा में 8 सीटें थीं, जिनमें से 7 भाजपा के खाते में गईं और 1 पर कांग्रेस कब्जा जमा पाई। पुष्पराजगढ़ से कांग्रेस के फुंदेलाल सिंह मार्को को विजयी प्राप्त हुई थी। खास बात ये है कि इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी ने उसी जीते हुए एक विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को को उम्मीदवारी सौंपी थी, लेकिन भाजपा की आंधी के आगे वो इस बार टिक नहीं पाए।
शहडोल लोकसभा सीट से भाजपा की 2 लाख 8 हजार 346 मतों की बढ़त है। इसे कांग्रेस को पहले पाटना होगा और बाद में अपने उम्मीदवार की जीत के लिए विजयी मत के लिए प्रयास करना होगा। पुष्पराजगढ़ से फुंदेलाल मार्कों महज 4 हजार 486 वोटों से ही जीत सके थे। शहडोल लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा के आठों क्षेत्रों में ये सबसे छोटी जीत भी दर्ज हुई थी।
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शहडोल क्षेत्र भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के लिए समान मौके लाता रहा है। इस सीट से अबतक के लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा को 7, कांग्रेस को 6 और निर्दलीय, जनता दल और सोशलिस्ट पार्टी को एक-एक बार जीत हासिल हुई है। भाजपा के दलपत सिंह शहडोल से सबसे ज्यादा बार सांसद चुने गए हैं। 1967 से 1989 तक क्षेत्र से विजयी उम्मीदवारों को क्षेत्र में डाले गए वैध मतों के 50 फीसदी से अधिक वोट मिले हैं। 1991 से ये फीसद 50 के अंदर रहने लगा था। 50 फीसद से अधिक वोट हासिल करने का सिलसिला 2014 में दलपत सिंह परस्ते से 2019 में हिमाद्री सिंह तक 50 प्रतिशत से अधिक रहा। ये दोनों उम्मीदवार भाजपा के थे और अब इसी बार भाजपा ने जीत दर्ज करके सीट पर जीत के मामले में बढ़त बना ली है।
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1989 के चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में खड़े हुए थे, उनका नाम मनमोहन सिंह था। उन्हें 12,101 मत प्राप्त हुए थे। कांग्रेस के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री का नाम भी मनमोहन सिंह था। इसी तरह 1998 में अजेय भारत पार्टी से कल्याणसिंह खड़े हुए थे उन्हें 4480 मत प्राप्त हुए थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री का नाम भी कल्याण सिंह था। यह एक विचित्र संयोग रहा है।
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1999 में प्रशासनिक सेवा से राजनीति में आए अजित जोगी ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा था पर उन्हें विजय प्राप्त नहीं हुई। सत्तर के दशक में अजित जोगी शहडोल के जिला कलेक्टर रहे थे और उनकी जनजातीय समुदाय में काफी प्रसिद्धि थी।
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लोकसभा चुनाव में ईवीएम में नोटा का विकल्प होने से शहडोल के मतदाता नोटा का भरपूर उपयोग करते हैं। वर्ष 2014 में 21 हजार 376 और 2019 के चुनाव में 20 हजार 39 मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया था जो प्रदेश में रिकॉर्ड था।