गरीबों का पैसा हड़पने के लिये अधिकारियों और प्रधानों ने किया बड़ा खेल। ग्राम प्रधान ने 7 लोगो से साठगांठ की और उसके बाद सेक्रेट्री और अधिकारियों की मदद से सभी लोगों के आधार कार्ड पर नाम बदलकर लाभार्थी का नाम डलवाया और उसी के नाम बैंक में खाता खुलवाया, जिसके बाद एक ही आधार नंबर पर नाम बदलकर बैंको में खुलवाये गये खाते और लाभार्थियों का पैसा उनके खातों में ट्रांसफर करा दिया।
पीड़ितों की शिकायत पर की गई जांच में पता चला की आवास के लिये आया पैसा लाभार्थियों के खातों में पहुंच चुका है। जब बैंक से उनके खाता नम्बरों से डिटेल निकलवाई गई तो पतियों और पिता के नाम बदले पाये गये, जब सभी के आधार कार्ड और खाते चेक किये गए तो सभी दो .दो नामो से पाये गए।
की गई शिकायत
मामले में पीड़ितों ने तहसील स्तर से लेकर जिला अधिकारी तक शिकायत की, लेकिन लगातार शिकायतों के बाद भी जब भ्रस्टाचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मुख्य मंत्री के जनसुनवाई शिकायत पोर्टल पर शिकायत की गई, जिसके बाद मामले का संज्ञान लिया गया और सबूतों के आधार पर सीडीओ के आदेश पर कार्रवाई करते हुये वर्तमान एडीओ एअश्वनी कुमार पांडे, एडीओ प्रतिपल सिंह ने फर्जी अच्छीवी, मेहरुनिशा,रब्बन, अल्ताफ, दिलशाद, तसब्बर, मुसब्बर, फिरदौस, ग्राम प्रधान ईस्वर दयाल और सचिव शिवालय शर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। रिपोर्ट के बाद लाखों की रिकवरी करने का आदेश दिया गया। पीड़ितों का आरोप है की सभी सबूतों के बाद भी भ्रस्टाचार के चलते थाने के जांच अधिकारी दरोगा ने लाखों की मोटी रकम लेकर मुकदमे में एफआर लगा दी।
जब इस मामले की जानकारी की गई तो निकल कर आया अपर विकास खण्ड अधिकारी द्वारा ही मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी, जिसमें और कई अधिकारियों की गर्दन फसती नजर आर ही थी, जिसके चलते वर्तमान एडीओ अश्वनी कुमार पांडे एडीओ प्रतिपल सिंह ने एक जांच चिठ्ठी जारी कर मामले में एफआर लगवा दी, लेकिन सवाल यही उठता है की जिस अधिकारी ने भरस्टाचार का खुलासा करते हुये दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। कुछ दिन बाद वही अधिकारी भ्रस्टाचारियों के बचाव में पुलिस को जांच रिपोर्ट दे रहा है।
फिलहाल अब तक दर्जनों अधिकारी आकर चले गये लेकिन कार्रवाई जहां की तहा स्थगित है। जब इस मामले में जिला अधिकारी अमृतमणि त्रिपाठी से बात की गई तो उन्होंने बताया की बड़ा ही गंभीर मामला है। अगर सरकारी घोटाले में किसी एफआईआर में दरोगा ने फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस खत्म कर दिया है तो उसके खिलाफ कोर्ट कार्रवाई होगी और मामले की जांच कराई जाएगी। फिलहाल इस मामले में लखनऊ में हुई शिकायत के बाद एक बार फिर डीएम को निर्देशित किया गया है, लेकिन अब देखने वाली बात होगी की जिला अधिकारी इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं या फिर मामला हर बार की तरह ठंडे बस्ते में जाता है।