आदिवासी ग्रामीण जो कि मूलभूत सुविधाओं से एवं अपने अधिकारों से वंचित हैं, उन्हें अधिकार दिलाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन उनको योजनाओं का कम ही लाभ मिल पा रहा है। कराहल विकासखंड के गांवों में बच्चे महिलाओं को इतनी ठंड में नंगे पैर जलाऊ लकड़ी सिर पर लाते देखा जा सकता है। मात्र 150 से 200 रुपए की जलाऊ लकड़ी बेचने जंगल से होते हुए कड़कती ठंड में नंगे पैर 50 किमी की दूरी तय कर लकड़ी बेचने आदिवासी महिलाएं आती हैं।
30 वर्षीय कलावती से पूछा गया कि वह लकड़ी बेचने क्यों आई है तो उसका कहना था कि गांव में काम नहीं मिलता तो जंगल से लकड़ी बीनकर इनको बेचकर कमाए पैसों से पेट भरने के लिए नमक तेल लेकर काम चला लेते है। इस महिला की पीड़ा और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति और शासन की आदिवासियों के नाम पर दिए जाने वाली सुविधाओं का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी तरह 17 वर्षीय युवती बताया कि माता-पिता को काम नहीं मिल पाता इसलिए परिवार चलाने के लिए उनके साथ लकड़ी बेचने आना पड़ता है।
कराहल क्षेत्र मे जॉबकार्डधारी: 22000
कुल गांव: 585
ग्राम पंचायत: 225
कुल आबादी: करीब 7 लाख
खाद्याान पात्रता परिवार: करीब 1 लाख प्रभारी सहायक आयुक्त नहीं उठाते फोन
जनजातीय कार्य विभाग जिस पर आदिवासी समुदाय की योजनाओं को अमली जामापहनाने का दायित्व है। उस विभाग के प्रभारी सहायक आयुक्त फोन तक नहीं उठाते। योजनाओं और आदिवासियों को लेकर उनसे सवाल करने के लिए जब उनके मोबाइल नम्बर 9826237583 पर कॉल किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पीडि़त हितग्राही की समस्या का समाधान कैसे होता होगा।
यह बात सही है कि सहरिया को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उनको लाभ मिले और बेरोजगार युवाओं को रोजगार इसके लिए मैं प्रयासरत हूं। वहीं अन्य समस्याओं के समाधान के लिए अफसरों से भी कह चुका हूं।
सीताराम आदिवासी
विधायक, विधानसभा क्षेत्र विजयपुर