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शिवपुरी

नीम का पेड़ और अनूठी परंपरा, स्वीकार हो जाता है शादी का निमंत्रण

सालों से चली आ रही है परम्परा, नीम के पेड़ पर शादी का कार्ड रखा देख, स्वीकार लिया जाता है शादी का निमंत्रण..

शिवपुरीApr 12, 2022 / 10:20 pm

Shailendra Sharma

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त्रिलोक शर्मा
श्योपुर/सोंईकला. हमारे देश में आज भी ऐसी कई अनूठी परंपराएं हैं जो हैरान कर देती हैं। ऐसी ही एक अनूठी परंपरा के बारे में आज हम आपको बता रहे हैं। मामला शिवपुरी जिले के ददूनी गांव का है जहां शादी का निमंत्रण देने के लिए घर घर नहीं जाना पड़ता है। शादी का न्यौता देने की अनूठी परम्परा है। गांव के एक नीम के पेड़ पर शादी का निमंत्रण कार्ड रखने की परम्परा है। कार्ड में जिस-जिस के नाम लिखे होते हैं। वह न्योते को स्वीकार कर शादी में शामिल होने पहुंच जाते हैं।

 

नीम का पेड़ और अनूठी परंपरा
ददूनी गांव में 140 से ज्यादा परिवार हैं। गांव में बहुत पुराना अथाई (पंचों का चबूतरा) है, जिस पर नीम का पेड़ लगा है। इसी पेड़ पर शादी समारोह, भागवत कथा सहित अन्य समारोह के कार्ड रखे जाते हैं। पेड़ पर कार्ड रखने के लिए तारों की एक डलिया बनाई गई है। गांव में अगर किसी के यहां शादी है तो उस घर के सदस्य घर-घर जाकर कार्ड नहीं देते बल्कि जिन-जिन को न्योता देना है, उनके नाम लिखकर शादी के कार्ड को नीम के पेड़ की डलिया में रख देते हैं। इस परंपरा की शुरुआत 15 साल पहले दो बुजुर्ग भाइयों जगन्नाथ जाट व रामस्वरूप जाट ने की थी। अगर दूसरे गांव, कस्बे या शहर का भी कोई व्यक्ति शादी का कार्ड पेड़ पर रखता है तो उसे भी स्वीकार किया जाता है। अगर किसी को पूरे गांव को निमंत्रण देना है तो पंच, मुखिया के नाम के बाद बाल गोपाल परिवार लिख देते हैं। ऐसे में पूरा गांव सपरिवार न्योता मान लेता है।

 

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पेड़ टूटा पर परंपरा नहीं
ददूनी की अथाई पर करीब सवा सौ साल पुराना नीम का पेड़ था। 2011 में आंधी और तेज बारिश के कारण यह पेड़ टूट गया था। इसके बाद ग्रामीणों ने यहीं नीम का नया पौधा रोपा। यह पौधा छोटा था, तब ही से इसके किनारे कार्ड रख दिए जाते हैं। ददूनी गांव में पंचों की अथाई का बड़ा सम्मान व महत्व है। गांव के हर विवाद इसी अथाई से सुलझते रहे हैं। दशकों से यहां बैठे पंचों ने जो फैसला किया, वह सर्वमान्य रहा। आधुनिकता और लोगों की व्यस्तता में भी अथाई का महत्व बना रहे इसीलिए इस परंपरा को शुरू किया गया। ग्रामीण अचपल सिंह जाट बताते हैं कि हमारे गांव में घर-घर कार्ड नहीं आते। अथाई पर आए कार्ड से लोग न्योता स्वीकार कर लेते हैं। गांव बड़ा है। अब तो पहचान वाले लोगों को मोबाइल पर फोन करके बता देते हैं कि आपका कार्ड आया है।

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