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शिवपुरी

कॉलेज में फार्म जमा करने भटक रहे छात्र

उच्च शिक्षा मंत्री के लगातार दौरों के बाद भी नहीं सुधर रहे हालात
 

शिवपुरीDec 19, 2017 / 10:59 pm

shyamendra parihar

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शिवपुरी. जिले में उच्च शिक्षा के हालात बद से बदहाल होते जा रहे हैं और छात्र परेशान होकर इधर से उधर भटक रहे हैं। जिला मुख्यालय के पीजी कॉलेज में पदस्थ स्टाफ व प्रोफेसर्स कॉलेज में बैठने की बजाय या तो अपने घरों के काम निपटा रहे हैं, या फिर कोई बहाना बनाकर घर बैठ गए। परेशान युवा कभी नीचे की मंजिल में पूछने जाते हैं तो कभी दूसरी मंजिल पर पहुंचते है, लेकिन उनका फार्म कौन जमा करेगा?, आवास की स्कॉलरशिप फार्म कौन देगा?, इसका जवाब देने वहां कोई नहीं मिल रहा। यह हालात तब हैं, जबकि प्रोफेसर 80 हजार से लेकर 1 लाख रुपए से अधिक वेतन हर महीने ले रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री आए दिन ही शिवपुरी में चक्कर लगा रहे हैं और सोमवार की रात को ही सर्किट हाउस में रुककर गए। बावजूद इसके हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे।
दोपहर लगभग 12 बजे कॉलेज में अलग-अलग जगह पर छात्र-छात्राएं फार्म भरने के साथ ही अपने दस्तावेजों का मिलान कर रहे थे। इन युवाओं का कहना है कि हमने ऑनलाइन बीएससी सहित अन्य संकाय का प्राइवेट फार्म भरा है। अब यह फार्म जब कॉलेज में जमा होंगे, तब नामांकन नंबर मिलेगा और वे वहां परीक्षा दे पाएंगे। इसके लिए अंतिम तिथि 23 दिसंबर है, लेकिन कॉलेज में कोई यह बताने तैयार नहीं कि फार्म कौन जमा करेगा। छात्र सोमवार से कॉलेज में चक्कर लगा रहे हैं।
कॉलेज में कभी ऊपर तो कभी नीचे भटक रहे युवा
नाईकी बगिया में रहने वाली सेंड्रा ने पीजी कॉलेज में बीएससी रेग्यूलर के लिए ऑनलाइन आवेदन किया। लेकिन कॉलेज में जिम्मेदार प्रोफेसरों के नदारद रहने से उसका फार्म जमा नहीं हो सका और अब वो बायो से प्राइवेट बीएससी कर रही है। मंगलवार को वो अपनी माँ के साथ कॉलेज पहुंची, लेकिन वहां अधिकांश कुर्सियां खाली ही मिलीं। बकौल सेंड्रा, हमें तीन बार कभी ऊपरी मंजिल में फार्म जमा करने भेजा तो कभी नीचे केमेस्ट्री लेब में भेज दिया। हर बार वहां कोई नहीं मिला, जिसका नाम बताया, उसके बारे में भृत्य ने बताया कि वो कहीं बाहर घूम रहे हैं। दो घंटे भटकने के बाद भी फार्म जमा नहीं हो सका। यह तो महज उदाहरण है, जबकि इस तरह से सैकड़ों युवा यूं ही भटक कर निराश लौट रहे हैं।
दूसरे के कंधे पर सवार उर्मिला
शासन की योजना है कि कॉलेज में पढऩे वाले आदिवासी छात्र-छात्राओं को शहर के कॉलेज में पढऩे पर उन्हें आवासीय किराया दिए जाने के लिए राशि मिलती है। उर्मिला आदिवासी दिव्यांग होने की वजह से उसे उसकी सहेली अपने कंधे पर लटकाए हुए थी। वो दो बार उसे कंधे पर रखकर सीढिय़ां चढ़ी व उतरी, लेकिन हर बार उसे यही कह दिया गया कि कभी इधर जाओ तो कभी उधर।
मुझे तो यह पता ही नहीं है कि फार्म जमा करने की जिम्मेदारी मुझे दी गई है। अभी मैं बाहर किसी काम से हूं, कल जब कॉलेज आऊंगा, तब पता करूंगा कि मुझे क्या करना है। मुझे तो अभी यह भी नहीं पता कि फार्म जमा करते समय कौन से दस्तावेज जरूरी हैं।
डीके शर्मा, प्रोफेसर पीजी कॉलेज
मेरी माँ की तबियत खराब है, इसलिए ग्वालियर आ गया हूं। फार्म जमा करने के लिए डीके शर्मा को नियुक्त किया है। आज प्रभारी प्राचार्य भूपेंद्र जैन हैं, आप उनसे संपर्क कर लें, वे बता देंगे।
एचएस कुर्रेशी, प्रभारी प्राचार्य

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