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शिवपुरी

‘पाताल’ में पहुंचा पानी, कंठ तर करने के लिए कई किमी जाने की मजबूरी

अब भी नहीं जागे तो मचेगा हाहाकार : ग्वालियर-चंबल संभाग के कई क्षेत्रों में बिगड़ी रही स्थिति
लगातार हो रहे ट्यूबवेल खनन से गिरता जा रहा जलस्तर, टैंकर पहुंचाने में भी होता है लाखों का भ्रष्टाचार

शिवपुरीMay 25, 2022 / 09:29 pm

rishi jaiswal

‘पाताल’ में पहुंचा पानी, कंठ तर करने के लिए कई किमी जाने की मजबूरी

‘पाताल’ में पहुंचा पानी, कंठ तर करने के लिए कई किमी जाने की मजबूरी

ऋषि जायसवाल @ ग्वालियर. ग्वालियर-चंबल संभाग के कई इलाकों में जल के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है। शहरी इलाकों की स्थिति तो थोड़ी ठीक है, लेकिन शिवपुरी, भिण्ड सहित अन्य जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी रसातल में पहुंच गया है। नौतपा की भीषण गर्मी में पीने के पानी तक के लिए लोगों को कई किलोमीटर की दौड़ लगाना पड़ रही है। भूजल स्तर गिरने का सबसे बड़ा कारण बड़ी संख्या में ट्यूबवेल खनन है, जिस पर जिम्मेदारों का कोई जोर दिखाई देता नहीं है। इस आपदा को कुछ लोग अवसर के रूप में भुनाने में लग जाते हैं। जनता को २-४ टैंकर पानी पहुंचाया तो जाता है, लेकिन भ्रष्टाचार ने अपनी जड़े जमा रखी है। नाममात्र के टैंकर पहुंचाकर ज्यादा टैंकरों का भुगतान करवा लिया जाता है। ऐसे में जनता ठगी रह जाती है।
भिण्ड : पांच साल में 32 फीट नीचे खिसका भूजल स्तर

पिछले पांच साल में जिले का भूजल स्तर दो या चार नहीं बल्कि 32 फीट नीचे खिसक गया है। हालांकि वर्ष 2021 में हुई अपेक्षित बारिश के चलते 18 फीट जलस्तर ऊपर आ गया है। गांवों के अलावा शहर तथा कस्बाई क्षेत्र में बड़ी तादाद में सरकारी हैंडपंपों के खनन कर लिए गए हैं। वहीं ट्यूबवेल तथा बोर खनन की संख्या भी जिले भर में लगभग 85000 हो गई है। विदित हो कि भिण्ड शहर में निजी बोर खनन की संख्या करीब 35 हजार हो गई है। वहीं मेहगांव में लगभग 9000, गोहद में करीब 9500, लहार में 10000 तथा अटेर में 7000 निजी बोर संचालित हैं। उपरोक्त विकासखंड अंतर्गत अकोड़ा, ऊमरी, रौन, मिहोना, आलमपुर, दबोह, रावतपुरा, प्रतापपुरा, सुरपुरा, फूप, परा, गोरमी, अमायन, मौ, गोहद चौराहा, मालनपुर आदि छोटे कस्बे भी शामिल हैं। पानी सप्लाई किए जाने के नाम पर भी सालों से भ्रष्टाचार किया जा रहा है। एक गांव में वास्तवित रूप से भिजवाए जा रहे 05 टैंकरों के स्थान पर 07 से 08 टैंकर दर्ज कर लिए जाते हैं।
शिवपुरी : एक हजार फीट पर नहीं मिलता पानी

जिला मुख्यालय पर कभी 18 तालाब होते थे, उनमें से 13 तालाबों पर भूमाफिया में कब्जा कर कॉलोनियां बना दी। तालाब खत्म होने से वाटर रिचार्जिंग खत्म हो गया। शहर में नपा के 550 ट्यूबवेलों के अलावा डेढ़ हजार निजी बोर होने से भूजल स्तर रसातल में पहुंच गया। गर्मियों में एक हजार फीट की गहराई में भी पानी नहीं मिलता है। शहर के फतेहपुर-मनियर क्षेत्र में सबसे अधिक जलसंकट है, क्योंकि यहां पर स्थित मनियर तालाब पर कब्जा करने वाले उसमे पानी नहीं रुकने दे रहे। ग्वालियर नाका और बायपास रोड के क्षेत्र में भी जलसंकट बना हुआ है। पोहरी नाका एवं कलेक्टर निवास के पास भी एरिया ड्राय जोन हो जाने से बोर सफल नहीं होते।
मुरैना : 170 फीट तक उतर गया जलस्तर

शहर में 170 फीट तक जलस्तर उतर गया है। फरवरी से मई मध्य तक ही करीब 10 फीट तक जलस्तर उतरा है। सबलगढ़ के घाटी क्षेत्र के अलावा पहाडग़ढ़, कैलारस के करीब दो दर्जन गांवों में पेयजल परिवहन करना पड़ रहा है। घाटी क्षेत्र में 300 फीट तक भी पानी नहीं है। बरसात का जो पानी चट्टानों पर जमा हो जाता है, वह खत्म होने के बाद लोगों को खेतों पर गहरे नलकूपों से पानी ढोना पड़ता है। जल जीवन मिशन के तहत यहां अभी पेयजल आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई है।
डबरा : घाटीगांव क्षेत्र में सबसे ज्यादा गिरा जलस्तर

डबरा के भितरवार विधानसभा के घाटीगांव क्षेत्र में जल स्तर सबसे ज्यादा गिरा है। पीएचई के मुताबिक 250 फीट तक जलस्तर पहुंच गया है। हालांकि डबरा क्षेत्र में 10 से 20 फीट तक जल स्तर गिरा है। करई, पाटई, बेरखेड़ा, आरोन, रानीघाटी क्षेत्र, बनहरी, बरहाना, घाटीगांव, चामौरा, सुमरई, बरखा गांव, डमोरा आदि शामिल हंै।
निजी बोर खनन पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जाएगी। शासकीय बोर के माध्यम से जनसाधारण को पेयजल उपलब्ध कराए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। लोगों को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
टीपी गर्ग, कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय, भिण्ड

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