हाल यह है कि किसान के नित नए नवाचारों ने आस-पास के किसानों को दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया है। लीक से हटकर खेती के विचार के कारण गुजरात, महाराष्ट्र के दाहोद जैसे इलाकों से प्रगतिशील किसानों के दल खेत को भ्रमण करने के लिए आते हैं। गौरतलब है कि किसान शेर सिंह से प्रेरणा लेकर 350 से ज्यादा किसान हाइटेक खेती कर रहे हैं।
रोज कर रहे नवाचार
नवाचारों की श्रृंखला में किसान ने खेत की जमीन को इस तरह तैयार किया है कि बादाम, अंजीर, आम, सेव, इलायची जैसे महंगे सूखे मेवे होने लगे हैं। यही नहीं आय बढ़ाई जा सके इसके लिए उसने अपने खेत में बर्फीले और पहाड़ी इलाके में होने वाले सिल्वर ओक, रूद्राक्ष और कल्पवृक्ष जैसे पौधे लगाए हैं जो उत्पादन देने लगे हैं।
जीवाणु रहित हुई भूमि
रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग के कारण किसान के खेत से मित्र कीट और जीवाणु खत्म हो गए थे। धीरे-धीरे उत्पादन गिरने से खेती घाटे का सौदा हो गया। शेर सिंह ने स्थानीय किसानों और दूसरे राज्यों में जाकर इसका जाना और खुद के खेत में घनजीवामृत तैयार किया। जिसे गर्मी और सर्दी की फसलों के लिए अलग-अलग पौधे के अर्क से तैयार किया गया है। किसान का दावा है कि इसके प्रयोग से भूमि में मित्रकीट और जीवाणु बढ़ जाते हैं
बिना गंध वाला प्याज किया तैयार
जिले में मीठे प्याज के भाव नहीं मिलने के कारण किसानों को हर साल लाखों रुपए का घाटा होता है। इसके अलावा कई किसान उत्पादन बढ़ाने के लिए बीज को बदल देते हैं तो प्याज की गुणवत्ता गिर जाती है। इसे देखते हुए किसान ने स्थानीय बीज लगाने से पहले घनजीवामृत तैयार किया और खेत में आधा बीघा में प्याज की खेती की। बकौल किसान 45 दिन में तैयार होने वाले प्याज का आकार भी सामान्य प्याज से ज्यादा और भाव डेढ गुना तक मिल जाते हैं।
किसान शेर सिंह के नवाचारों की जानकारी मिली है। कृषि विभाग के अधिकारियों को भेज कर सर्वे कराएंगे। साथ ही किसान की प्रगति और खेती की पद्धति की जानकारी विभागीय गोष्ठी में अन्य किसानों को देंगे।
-एसआर कटारिया, उपनिदेशक कृषि