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भैया ! मरीज कितना भी सीरियस क्यों ना हो, आपको रिपोर्ट तो कल ही मिलेगी…, शेखावाटी के सबसे बड़े अस्पताल मेें जान पर भारी पड़ रही रिपोर्ट…

यह एक केस नहीं रोजाना एसके अस्पताल में रात को सिर की चोट लगने वाले घायलों के साथ ऐसा हो रहा है।

सीकरAug 14, 2017 / 12:58 pm

vishwanath saini

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सीकर.

यह एक केस नहीं रोजाना एसके अस्पताल में रात को सिर की चोट लगने वाले घायलों के साथ ऐसा हो रहा है। चिकित्सा मंत्री के गृह जिले के सबसे बड़े कल्याण अस्पताल में सिटी स्कैन की सुविधा गंभीर मरीजों के आफत बन रही है। हालात यह है कि अस्पताल में रात को घायल के आने पर स्टॉफ की समस्या बढ़ जाती है। पीपीपी मोड पर संचालित सिटी स्कैन सेंटर पर जांच तो हो जाएगी लेकिन रिपोर्ट रात भर नहीं आएगी। उसके लिए परिजनों को अगले दिन तक इंतजार करना पडेगा मजबूरी यह है कि मरीज की जान बचाने के लिए स्टॉफ को भी जयपुर रैफर करना पड़ता है। कई बार तो परिजन रिपोर्ट नहीं मिलने से ट्रोमा यूनिट के स्टॉफ से उलझ जाते हैं।

यह है कारण


एसके अस्पताल में एक वर्ष पीपीपी मोड पर सिटी स्कैन की सुविधा शुरू की गई थी। निजी सेंटरों की तुलना में सिटी स्कैन की दर कम होने के बावजूद संचालकों की ओर से सिटी स्कैन की रिपोर्ट के लिए 24 घंटे रेडियोग्राफर की सुविधा नहीं की गई है। रही सही कसर ट्रोमा यूनिट में फिजिशियन की बजाए अन्य विशेषज्ञों की ड्यूटी होने पर हो जाती है। ऐसे में सिटी स्कैन की फिल्म तो मरीज को थमा दी जाती है लेकिन उसकी चोट का सटीक पता रेडियोग्राफर ही लगा सकता है।
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यह है हकीकत

सिटी स्कैन होने पर सीकर सेंटर से रिपोर्ट को इंटरनेट पर अपलोड किया जाता है। इस रिपोर्ट को अपलोड कर दी जाती है। इसके बाद रेडियोग्राफर को कॉल की जाती है। जो जयपुर में बैठा रिपोर्ट को डाउनलोड करता है। इस पूरी प्रक्रिया में दिन में एक से दो घंटे तक लग जाते हैं। सूत्रों के अनुसार कई बार रात के समय रेडियोग्राफर रिपोर्ट को अगले दिन तैयार किया जाता है। ऐसे में परिजन मरीज को जयपुर ले जाते हैं कई बार समय पर उपचार नहीं मिलने से मरीज की मौत तक हो जाती है।

इंटरनेट पर निर्भर…


सीकर में सिटी स्कैन की रिपोर्ट इंटरनेट पर अपलोड कर दी जाती है। जिसके आधार पर रिपोर्ट जयपुर से की जाती है। रिपोर्टिंग का स्तर अंतर्राष्ट्रीय है। यहां से रिपोर्ट में देरी नहीं होती है। सीकर में बैठ कर इसकी रिपोर्ट तैयार नहीं की जा सकती है। -डा. विनोद गुप्ता, संचालक पीपीपी मोड
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केस- एक

एसके अस्पताल में शनिवार रात को सड़क दुर्घटना में घायल मरीज का सिटी स्कै न तो हो गया लेकिन रिपोर्ट नहीं बनाई गई। इससे ट्रोमा यूनिट में चिकित्सकों को चोट की स्थिति का पता नहीं चल पाया। मजबूरन मरीज को परिजन जयपुर ले गए।

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