अजीब कहानी है सरकारी सामान की
धोद के कमरे में बंद सरकारी सामान की कहानी भी अजीब है। ग्रामीण बताते हैं कि कांग्रेस राज में धोद तहसील व उपखंड कार्यालय की घोषणा की गई थी। तहसील की स्वीकृति होने पर सरकार की ओर से तहसील कार्यालय के लिए फर्नीचर व अन्य सामान का ट्रक भेज गया। धोद में ट्रक पहुंचने पर ग्रामीणों ने सामान को गांव के एक मकान में खाली करवा लिया। इसके बाद अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई, लेकिन अधिकारियों ने सामान की रिसीवरी नहीं दी। बाद में धोद सरपंच से तहसील कार्यालय के लिए किराए के भवन की व्यवस्था करने को कहा गया। इस पर ग्रामीणों ने बिना किराए के ही भवन उपलब्ध करवा दिया। वहां पर उसी सामान से तहसील कार्यालय खोला गया। तहसीलदार ने कार्यभार भी ग्रहण किया, लेकिन दूसरे ही दिन इस कार्यालय को बंद कर दिया गया।
अब बन रहे हैं भवन
धोद उपखंड अधिकारी व तहसीलदार के कार्यालय भवन का निर्माण चल रहा है। सरपंच प्रतिनिधि विनोद पुजारी ने बताया कि करीब दोनों सरकारी कार्यालय का करीब 70 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो गया है। भवन बनने के बाद ग्रामीणों का कस्बे में तहसीलदार व एसडीएम कार्यालय खुलने का सपना पूरा होगा।
पहले का मामला…
कार्यालय अभी सीकर से संचालित हो रहा है। वहां निजी मकान में एक दिन का तहसील कार्यालय खोला गया था। तहसील का सामान एक कमरे में रखा है। यह मेरे कार्यभार ग्रहण करने से पहले का मामला है। तहसील कार्यालय का निर्माण चल रहा है। जगदीश प्रसाद, तहसीलदार, धोद
कार्यालय अभी सीकर से संचालित हो रहा है। वहां निजी मकान में एक दिन का तहसील कार्यालय खोला गया था। तहसील का सामान एक कमरे में रखा है। यह मेरे कार्यभार ग्रहण करने से पहले का मामला है। तहसील कार्यालय का निर्माण चल रहा है। जगदीश प्रसाद, तहसीलदार, धोद