खून-खराबा करने तक पर ऊतारू हो जाते हैं। ऐसे माहौल में राजस्थान के कुछ लोगों ने लाल चौक पर तिरंगा फहराया है। इसके लिए शहीद दिवस (23 मार्च) का दिन चुना गया। वर्ष 1931 के इसी दिन अंग्रेजों ने शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर लटका दिया था।
लाल चौक पर तिरंगा फहराने का साहस घर घर तिरंगा लहरायेगा अभियान के संयोजक व शहीद भगत सिंह यूथ ब्रिगेड संगठन के बलवीर भारती व उनकी टीम ने किया है। यह टीम सोमवार को अपने गृह जिला सीकर पहुंची है। सीकर शहर में रेलवे स्टेशन के पास स्थित सीकर होटल में टीम का जोरदार स्वागत किया गया।
टीम के बलवीर भारती का दावा है कि 23 मार्च को वो अपनी टीम के साथ के शाम 5 बजे लाल चौक पहुंचे थे और वहां निडर होकर शाम छह बजे तिरंगा फहराया। लाल चौक पर तिरंगा फहराना खतरे से खाली है। यही भारती व उनकी टीम के साथ हुआ। जैसे ही तिरंगा फहराया तो अलगाववादियों ने उनकी टीम को लाल चौक पर घेर लिया।
गनीमत यह रही कि उसी समय सीआरपीएफ और आर्मी के जवान वहां आ गए और उन्होंने भारती व उनकी टीम का अपनी सुरक्षा के घेरे में लिया और वहां से सुरक्षित निकालकर उनको जम्मू कश्मीर के लाल चौक के पुलिस थाने में ले गए। जहां टीम को तीन घंटे तक हिरासत में रखा गया और उनके संबंध में पूरी पड़ताल की गई।
इसके बाद पुलिस टीम के द्वारा जम्मू तक बलवीर भारती व टीम को एस्कोर्ट देकर सुरक्षित पहुंचाया गया। बलवीर भारती बताते हैं कि आने वाली 15 अगस्त को फिर से जम्मू कश्मीर के लाल चौक में वे टीम के साथ तिरंगा फहरायेंगे।
दो बार हुआ धमाका
भारती की मानें तो जब उनकी टीम लाल चौक पर तिरंगा फहरा रही थी। तब अलगाववादियों ने उन्हें डराने का प्रयास किया। दो बार बम धमाके किए, मगर कोई जनहानि नहीं हुई। ना ही अलगाववादियों की यह कार्रवाई उनकी टीम का हौसला तोड़ पाई।