परिजनों के मुताबिक जब पीडि़त का पेट अचानक फूलने लगा तो परिजन डर गए और वार्ड में ड्यूटी नर्स के पास पहुंचे। जहां मरीज की हालत बताते हुए कहा कि मैडम एक बार मरीज को देख लीजिए। पेट ज्यादा फूल गया है लेकिन नर्स ने परिजनों की नहीं सुनी। झल्लाते हुए बोली कि वह भगवान नहीं हैं कि मरीज को बचा लेंगे। नर्स की इस बात को सुनकर परिजनों ने रेफर करने की बात कही तो ड्यूटी नर्स ने उसे भी मना कर दिया।
आरोप है कि मरीज की गंभीर हालत को देख परिजनों ने रेफर करने की बात कही। मगर, डाक्टर व नर्सों ने रेफर करने से मना कर दिया। तंत्र की लापरवाही का आलम यह है कि मरीज की मौत हो जाने के बाद रेफर का कागज बनाकर परिजनों को थमाया है। यही काम नर्सो ने पहले कर दी होती तो शायद मरीज की जान बच सकती थी लेकिन उसे सिर्फ बॉटल चढ़ाकर ठीक होना बताती रही।
लापरवाही से हो चुकी हैं मौतें
जानकारी के लिए बता दें कि जिला अस्पताल में इससे पहले भी मरीजों की मौत हो चुकी है। ऐसे कई मामलों में डाक्टर व नर्सों की लापरवाही उजागर हुई है। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन इस मामले को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा है। जबकि दावा करते हैं कि जिला अस्पताल में मरीजों को समुचित व नि:शुल्क इलाज मिल रहा है। हकीकत देखने पर जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों पर हर किसी को तरस आती है। पैसे के अभाव में जिला अस्पताल की चौखट पर इलाज के लिए पहुंच रहे मरीजों को समुचित इलाज मुनासिब है।