सैनी ने बताया की फुलों की खेती करने से परिवार के लोगों सहित गांव के चार व्यक्तियों को भी रोजगार मिल रहा है। खेत में फुल तुड़वाई के लिए रोजाना चार मजदूर लगे हुए हैं इसी के साथ ही फुलों को लेकर कोटा जाता हूं। वहां पर उसके पुत्रों ने फुल मालाओं की दुकानें लगा रखी है। इन फुलों से दुकानों पर रोजाना माला बनाकर बिक्री भी की जा रही है।
किसान उमाशंकर ने बताया की फुलों की खेती करते हुए तीन वर्ष हो गए हैं, जिससे अच्छी आमदनी भी हो रही है। फुलों की खेती करने के लिए खेत में पांच गुणा चार की क्यारियां बनाई गई हैं, जिनमें अलग-अलग किस्म का बीज बोया जाता है तथा इस पर गर्मी का मौसम हो तो गीला कपड़ा या बोरी पानी में भीगों कर डाल देते हैं तथा उस पर बार-बार पानी का छिडक़ाव करते रहते हैं ताकी सूखे नहीं। पौध बाहर निकलने पर हटा देते हैं। करीब माह भर में फुलों की पौध तैयार हो जाती है, जिसके बाद खेत में करीब तीन-तीन फीट के अंतर में पौधे लगा दिए जाते हैं। दो माह बाद पौधे फुल देने लग जाते हैं। इनमें मुहारे व कीड़े लग जाते हैं तो उनसे बचाव के लिए हर पन्द्रह-बीस दिन में दवा का स्प्रे भी करना पड़ता है।