गजब का क्रिकेटर, पढ़ाई में औसत
हार्दिक का जन्म 20 जुलाई 1993 को अहमदाबाद के वीरमगांव में भरतभाई और ऊषाबेन पटेल के घर में हुआ। स्कूली पढ़ाई गांव में ही दिव्यज्योत स्कूल और केबी शाह हायर सैकंडरी स्कूल में हुई। स्कूल के उसके अध्यापकों का कहना है कि पढ़ाई के बजाय वह कमाल का क्रिकेटर था। अहमदाबाद के सहजानंद कॉलेज के उसके साथी और प्रोफेसर भी इससे इत्तेफाक रखते हैं और बताते हैं कि वह गजब का क्रिकेटर था।
स्वभाव से रिजर्व लेकिन लीडरशिप में आगे
स्कूल अध्यापकों का कहना है कि हार्दिक स्वभाव से अंतर्मुखी था लेकिन लीडरशिप और मैनेजमेंट में उस्ताद था। स्कूल में चाहे क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन हो या फिर किसी रैली का आयोजन करना हो वह हमेशा आगे रहता था। हार्दिक की मां ऊषाबेन बताती है कि वह निडर रहा। हमें उसके बारे में कभी किसी ने शिकायत नहीं की। वह अपने मामले खुद सुलझा लेता था।
इस तरह पड़ी आरक्षण आंदोलन की नींव
क्रिकेट के मैदान से आरक्षण से मंच तक पहुंचने का हार्दिक का सफर घर से ही शुरू होता है। हार्दिक की बहन मोनिका के 12वीं कक्षा में 84 प्रतिशत अंक आए थे लेकिन उसे राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली स्कॉलरशिप नहीं मिली। इससे हार्दिक को भी दुख पहुंचा लेकिन जब उन्हें पता चला कि मोनिका की दोस्त को यह स्कॉलरशिप मिल गई है जबकि उसके केवल 81 फीसदी अंक थे। मोनिका की दोस्त ओबीसी से थी इसके चलते उसे यह स्कॉलरशिप मिली।
दो महीने में जुड़ गया पूरा पाटीदार समाज
मोनिका ने बताया कि वह पूरे जिले में टॉपर थी और नियमों के हिसाब से मुझे सरकार से स्कॉलरशिप मिलनी चाहिए थी। मुझे मना कर दिया गया लेकिन मेरे दोस्त को दे दी गई। मुझे मेरी दोस्त के लिए खुशी है लेकिन खुद को लेकर दुखी हूं। इस बात से नाराज होकर ही हार्दिक ने आरक्षण का मुद्दा उठाया और दो महीने में पूरे देश में इस आंदोलन की गूंज सुनाई दी।