
अंतरराष्ट्रीय उड़ान पर ज्यादा असर पड़ा।
पिछले वर्ष विश्व में कोरोना महामारी के बाद यात्रा प्रतिबंधों के कारण विमानन उद्योग को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा घाटा हुआ है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आइएटीए) ने इस नुकसान को मापने के लिए यात्री संख्या, उनसे मिलने वाले राजस्व और किलोमीटर के आधार पर निकाला है। तीनों की गणना आरपीके यानी रेवेन्यू, पैसेंजर, किलोमीटर के माध्यम से की गई है। 2020 में आरपीके में 66 फीसदी की गिरावट आई, जो विमानन उद्योग की सबसे बड़ी वार्षिक गिरावट है। इसके कारण उद्योग को वैश्विक 118.5 अरब डॉलर (86 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान उठाना पड़ा उद्योग को। आकार में देखा जाए तो श्रीलंका और नेपाल सहित 135 देशों की जीडीपी से बड़ी है यह राशि।
ऐसे समझिए इस नुकसान को
आइएटीए ने इस नुकसान का आकलन यात्री संख्या, उनसे मिलने वाले राजस्व और किलोमीटर के आधार पर किया है। जिसे ‘आरपीके’ यानी रेवेन्यू, पैसेंजर, किलोमीटर से दर्शाया गया है। यात्रा प्रतिबंधों के कारण घरेलू उड़ान की बजाय अंतरराष्ट्रीय उड़ान पर ज्यादा असर पड़ा। पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजार 75.6 फीसदी तक गिर गया, जबकि अप्रेल माह की बात करें तो 2019 के मुकाबले यह 98 फीसदी कम रहा। इसके विपरीत घरेलू नुकसान 48.8 फीसदी था।
आगे : वैश्विक व्यापार में आएगी तेजी
अब वायरस का संक्रमण कम हो चुका है। अंरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंध हटा लिए गए हैं। इसलिए आइएटीए को उम्मीद है कि अब विमानन उद्योग फिर पहले वाली स्थिति में आएगा।
Updated on:
16 Mar 2021 12:19 am
Published on:
16 Mar 2021 12:06 am
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