पिछले साल फिरोजपुर फीडर और राजस्थान फीडर के कॉमन बैंक की मजबूती, सिल्ट निकासी और हरिके हैडवक्र्स के गेटों की मरम्मत के नाम पर ली गई बंदी के दौरान पंजाब ने नहर की कई बुर्जियों पर सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त लाइनिंग की मरम्मत करवाई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि आरडी 55 से 168 तक जहां नहर की क्षमता 6000 क्यूसेक होने के बावजूद 4200-4300 क्यूसेक पानी ही चलाया जाता था वह मरम्मत के बाद 5200 क्यूसेक तक चल गया। अब अगर पूरी नहर का जीर्णोद्धार हो जाए तो नतीजा गंगनहर के किसानों के लिए सुखद ही रहेगा।
जीकेएस का मुद्दा
पिछले साल फिरोजपुर फीडर का पटरा दो बार धंसा था तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य पृथीपाल सिंह संधू और गंगनहर किसान समिति के रणजीतसिंह राजू और संतवीरसिंह मोहनपुरा सहित अन्य नेताओं ने फिरोजपुर फीडर का दौरा किया तब पता चला कि नहर की हालत कैसी है। संधू और गंगनहर किसान समिति तब से लेकर आज तक फिरोजपुर फीडर के जीर्णोद्धार का मुद्दा लगातार उठा रहे हैं। संधू तो यहां तक कहते हैं कि गंगनहर में पानी की मांग करना उस समय बेमानी लगता है जब फिरोजपुर फीडर की स्थिति सामने आती है। किसानों को यह समझना होगा कि जब तक फिरोजपुर फीडर का जीर्णोद्धार नहीं हो जाता तब तक पानी का संकट यूं ही बना रहेगा। नहर के क्षतिग्रस्त होने से पानी की जितनी भी क्षति होगी वह गंगनहर के किसानों की होगी। पंजाब के किसानों को इससे कोई क्षति नहीं होगी।