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भरतपुर

मैं SP ऑफिस से बोल रहा हूं… साइबर ठगों ने ठगी का अपनाया नया तरीका, जानकारी जुटाकर लोगों से कर रहे ठगी

Rajasthan News : साइबर ठगों के निशाने पर अब पुलिस का ऑनलाइन एफआइआर पोर्टल सीसीटीएनएस हैं। साइबर ठग पोर्टल से ही आरोपी और पीड़ित का फोन नंबर चुराकर पुलिस अधिकारी बन धमकाते हैं। यह सब करने से पहले साइबर ठग एफआइआर को पूरी तरह से पढ़ कर घर और उसके आस-पास की जानकारी जुटाते हैं।

भरतपुरMay 24, 2024 / 09:35 am

Omprakash Dhaka

Rajasthan Bharatpur Cyber thug SP office Police Attack on FIR portal
मेघश्याम पाराशर

Bharatpur News : साइबर ठगों के निशाने पर अब पुलिस का ऑनलाइन एफआइआर पोर्टल सीसीटीएनएस हैं। साइबर ठग पोर्टल से ही आरोपी और पीड़ित का फोन नंबर चुराकर पुलिस अधिकारी बन धमकाते हैं। यह सब करने से पहले साइबर ठग एफआइआर को पूरी तरह से पढ़ कर घर और उसके आस-पास की जानकारी जुटाते हैं। ठग जिसे फोन करते हैं उसे विश्वास दिलाते हैं कि वह पुलिसकर्मी हैं और उनकी मदद करना चाहते हैं… बस कुछ दान-दक्षिणा मिल जाए। इसके बाद शुरू होता है सेटलमेंट का दौर। प्रदेश में अब तक इस तरह के करीब 28 मामले सामने आए हैं, हालांकि हर दिन प्रदेश में 75 से अधिक लोगों के पास इस तरह के फोन आ रहे हैं। खास बात है कि ठग हर थाने के थानाधिकारी, बीट कांस्टेबल तक की जानकारी रखते हैं ताकि लोग तुरंत भरोसा कर लें।

ऐसे धमकाते हैं लोगो को

मैं एसपी ऑफिस से बोल रहा हूं, आपने शिकायत दर्ज कराई है। हमारी टीम आरोपी को गिरफ्तार करने जा रही है। आप कार्रवाई आगे बढ़ाना चाहते हो तो रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर दो। पीड़ित जैसे ही रुपए ट्रांसफर करता है वैसे ही आरोपी को फोन कार्रवाई न करने के बदले रुपए वसूल कर लेते हैं। मजे की बात है कि आरोपी और शिकायतकर्ता दोनों को मदद करने के नाम पर ही ठगते हैं।

छत्तीसगढ़ में एफआइआर में नंबर लिखना बंद

साइबर ठगों की ओर से पुलिस पोर्टल से डाटा निकालने की घटना सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ में पोर्टल पर पीड़ित व आरोपी का मोबाइल नंबर अपलोड न करने का आदेश जारी किया है। साथ ही ऐसा कोई भी कॉल आने पर संबंधित थाने में सूचना देने को कहा गया है।

ठग बोला… यही काम सबसे अच्छा

पत्रिका ने पड़ताल कर ठगों के कुछ नंबर खंगाले, इसमें एक ठग के मोबाइल नंबर 9516422868 पर बात करते हुए सवाल किया कि कोई दूसरा काम क्यों नहीं करते? ठग का जवाब था- जब लोग खुद ही समझदार बनते हैं तो झांसे में क्यों आ जाते हैं। हमें तो यही काम सबसे अच्छा लगता है और पैसे भी खूब हैं।

इनका कहना है

ठग एफआइआर पोर्टल से नंबर निकाल रहे हैं। महिला अत्याचार, पॉक्सो व अन्य कुछ धाराओं की एफआइआर में मोबाइल नंबर नहीं लिखा जाता है, बाकी में मोबाइल नंबर व पहचान होती है। सायबर ठगों को गिरफ्तार किया जा रहा है लेकिन लोगों को भी सतर्क रहना जरूरी है।

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