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भोपाल

खौफनाक! 10 हजार करोड़ का बजट फिर भी एक माह के अंदर दम तोड़ रहे 31 नवजात

Caesarean delivery is not happening in government hospitals in MP अस्पतालों में शिशु रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ होने पर ही सीजेरियन डिलीवरी कराई जा सकती है। अधिकांश अस्पतालों में तीनों डाक्टर नहीं होने से यह सुविधा नहीं दी सकती है।

भोपालMar 26, 2024 / 09:20 pm

deepak deewan

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एमपी में स्वास्थ्य सेवाओं के हाल बेहाल हैं

Caesarean delivery is not happening in government hospitals in MP एमपी में स्वास्थ्य सेवाओं के हाल बेहाल हैं। अस्पतालों में न दवाइयां मिल रहीं, न यहां डॉक्टर्स रहते हैं। हालांकि स्वास्थ विभाग का बजट तो हजारों करोड़ का है लेकिन संसाधन सीमित हैं। हाल ये है कि शिशु मृत्यु दर मध्य प्रदेश में देशभर में सबसे ज्यादा है। अधिकांश नवजात तो एक माह के अंदर दम तोड़ रहे हैं।

नवजातों की मौत के संबंध में सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम यानि एसआरएस बुलेटिन में खौफनाक सच्चाई सामने आई है। इसमें बताया गया है कि एमपी में हर एक हजार नवजातों में से 43 की मौत एक साल के अंदर ही हो जाती है।

इतना ही नहीं, 28 दिन तक के बच्चों की मृत्यु दर (एनएनएमआर) में भी मध्यप्रदेश देश में टाप पर है। मध्यप्रदेश में प्रति हजार 31 बच्चों की मौत इस अवधि में हो रही है। जबकि देश में इन मौतों का औसत महज 20 ही है।

विशेषज्ञों के अनुसार शिशु मृत्यु दर के ज्यादा होने के अनेक कारण हैं। सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि प्रदेश में सीजेरियन डिलीवरी की सुविधा नाममात्र के सरकारी अस्पतालों में ही है। प्रदेश के महज 120 सरकारी अस्पतालों में सीजेरियन डिलीवरी होती है जबकि 547 अस्पतालों में यह सुविधा होनी चाहिए। हाल ये है कि प्रदेश के आठ जिलों में दो-दो सरकारी अस्पतालों में ही सीजेरियन डिलीवरी हो पा रही है।

अस्पतालों में शिशु रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ होने पर ही सीजेरियन डिलीवरी कराई जा सकती है। अधिकांश अस्पतालों में तीनों डाक्टर नहीं होने से यह सुविधा नहीं दी सकती है। यही कारण है कि प्रदेश की शिशु मृत्यु दर पिछले 15 वर्ष से देश में सर्वाधिक बनी हुई है। अस्पतालों में डाक्टरों की कमी की वजह से प्रसूताओं को 24 घंटे सुविधा नहीं मिल पा रही है।

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