– ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने आदेश दिए हैे कि..निजी स्कूलों की स्वयं की वेबसाइट होना अनिवार्य है। प्राचार्य व संचालकों को अपने विद्यालय की वेबसाइट पर परीक्षा परिणाम से पूर्व सभी कक्षाओं के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची अपलोड करनी होगी।
-विद्यालय के सार्वजनिक सूचना पटल व अन्य स्थानों पर भी यह सूची प्रदर्शित करनी होगी।
-बच्चों के अभिभावकों को भी यह सूची उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना होगा। निजी स्कूलों के प्राचार्य व प्रबंधक को अपने स्कूल के प्रत्येक कक्षा के समस्त पाठ्यक्रम से संबंधित पुस्तकों तथा प्रकाशकों की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी के ईमेल एड्रेस पर भेजनी होगी।
-अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पहले खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून तक अपने बच्चों के लिए किताबें खरीद सकेंगे। इसलिए अप्रैल माह में शुरू हो रहे शैक्षणिक सत्र के पहले 30 दिन के समय का उपयोग विद्यार्थियों के ऑरिएंटेशन, व्यवहारिक ज्ञान व मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में किया जा सकेगा।
-नियामक बोर्ड मसलन सीबीएससी, आईसीएसई, माध्यमिक शिक्षा मण्डल मध्यप्रदेश आदि द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के अंतर्गत एनसीआरटी व मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित व मुद्रित पुस्तकों के अलावा अन्य प्रकाशकों व मुद्रकों की पुस्तकें विद्यालय में अध्यापन के लिए प्रतिबंधित की जाएं।
– कीमत बढ़ाने के लिए पुस्तकों के सेट में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त अन्य पुस्तकें शामिल कर विद्यार्थियों को खरीदने के लिए बाध्य न किया जाए। किसी भी प्रकार की शिक्षण सामग्री पर विद्यालय का नाम अंकित नहीं होना चाहिए। नोटबुक व कॉपी पर ग्रेड का प्रकार, साईज, मूल्य तथा पृष्ठ संख्या स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए।
-कोई भी विद्यालय दो से अधिक यूनीफॉर्म निर्धारित नहीं कर सकेंगे। ब्लैजर व स्वैटर इसके अतिरिक्त होगा। यूनीफॉर्म इस प्रकार से निर्धारित करना होगी कि कम से कम तीन साल तक उसमें बदलाव न हो।
-वार्षिकोत्सव या अन्य आयोजन के समय अन्य प्रकार की वेशभूषा के कपड़े खरीदने के लिए भी विद्यार्थियों को बाध्य नहीं किया जा सकेगा। जिन विषयों के संबंध में नियामक संस्था द्वारा कोई पुस्तक प्रकाशित नहीं की जाती है तो उस विषय से संबंधित पुस्तक की अनुशंसा से पहले स्कूल संचालक यह सुनिश्चित करेंगे कि पुस्तक की पाठ्य सामग्री आपत्तिजनक नहीं है, जिससे लोक शांति भंग होने की संभावना हो।
– निजी विद्यालयों के संचालकगण, प्राचार्य व पालक शिक्षक संघ यह सुनिश्चित करेंगे कि पुस्तकों के निजी प्रकाशक, मुद्रक व विक्रेता स्कूल परिसर में अपनी पुस्तकों का प्रचार-प्रसार करने के लिए किसी भी स्थिति में स्कूल में प्रवेश नहीं करें।