इंदौर की करीब पांच लाख की आबादी पेयजल संकट का सामना कर रही है। शहर में 300 से ज्यादा टैंकरों से पानी बांटा जा रहा है। इंदौर के चंदन नगर, बाणगंगा, देव नगर, गणराज नगर, मुसाखेड़ी जैसे इलाके जलसंकट की समस्या से जूझ रहे हैं।
यह भी पढ़ें : Phalodi Satta Bazar – बीजेपी को टेंशन! जानिए एमपी में किसको कितनी सीटें दे रहा फलोदी का सट्टा बाजार गर्मी के लगातार तीखे होते तेवर के कारण इंदौर में जलसंकट भी गहरा गया है। निजी व सार्वजनिक बोरिंग सूख गए हैं और हवा छोड़ रहे हैं। ज्यादातर बोरिंग में पानी खत्म हो चुका है। ऐसे में टैंकरों की डिमांड बढ़ गई है।
इंदौर के तीन चौथाई इलाके में नर्मदा के पानी की सप्लाई की जाती है। जिन एक चौथाई इलाकों में नर्मदा की पाइप लाइन नहीं है, उन इलाकों में टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है। जल कार्य समिति सदस्य बताते हैं कि बोरिंंग सूखने के कारण पेयजल की समस्या बन रही है, टैंकरों की डिमांड ज्यादा आ रही है। रात को भी पेयजल वितरण कर रहे हैं।
नर्मदा से इंदौर में 500 एमएलडी पानी आता है। पेयजल संकट के लिए नगर निगम की लापरवाही भी जिम्मेदार है। पंप खराब होने से टंकियां पूरी नहीं भर पा रही हैं जिससे नलों में कम पानी आ रहा है। इसी माह चार बार पंप खराब हो चुके हैं जिसके कारण पेयजल सप्लाई प्रभावित हुई है।
जलसंकट का सामना कर रहे शहर के लिए एक राहत की बात भी है। यशवंत सागर तालाब भी शहरवासियों की प्यास बुझाता है। पश्चिम क्षेत्र की छह टंकियों में इसका पानी भरा जाता है। अभी तालाब में 16 फीट पानी है, जोकि मानसून तक जलापूर्ति के लिए पर्याप्त है।