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गर्मी में बीमारियों को हल्के में न लें, सतर्कता ही बचाव

गर्मी का मौसम आ चुका है। इस समय शरीर का तापमान नियंत्रित करने वाला मैकेनिज्म अत्यधिक गर्मी से गड़बड़ा जाता है और शरीर के रोगग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। हीट से जुड़ी बीमारियां आमतौर पर तब होती हैं जब व्यक्ति पर्याप्त हाइड्रेशन या आराम के बिना लंबे समय तक उच्च तापमान और आर्द्रता के संपर्क में रहता है। ताप से जुड़ी बीमारियों को हल्के में न लें।

जयपुरMay 09, 2024 / 01:41 pm

Jyoti Kumar

सबसे ठंडी गर्मी 536 ईस्वी में थी, जो एक बड़े ज्वालामुखी विस्फोट से प्रभावित थी जिसने धरती की सतह को ठंडा कर दिया था।

summer 2023 was hottest in 2,000 years

गर्मी का मौसम आ चुका है। इस समय शरीर का तापमान नियंत्रित करने वाला मैकेनिज्म अत्यधिक गर्मी से गड़बड़ा जाता है और शरीर के रोगग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। हीट से जुड़ी बीमारियां आमतौर पर तब होती हैं जब व्यक्ति पर्याप्त हाइड्रेशन या आराम के बिना लंबे समय तक उच्च तापमान और आर्द्रता के संपर्क में रहता है। ताप से जुड़ी बीमारियों को हल्के में न लें।
लू-लगना – कई बार कम पानी पीकर या पानी नहीं पीकर बाहर धूप में निकलने से लू लगने का खतरा बढ़ जाता है, जब तापमान 40 डिग्री या इससे ऊपर आ जाता है। लू लगने में सबसे पहले पसीना आता है। कमजोरी महसूस होती है। फिर पसीना निकलना रुक जाता है और शरीर ठंडा पडऩे लग जाता है।
हीट स्ट्रोक – एक गंभीर स्थिति है। यह तब होती है जब शरीर का तापमान 106 डिग्री फॉरेनहाइट (41 डिग्री सेल्सियस) से ऊपर तेजी से बढ़ जाता है। वैसे शरीर का तापमान 37 सेल्सियस रहना चाहिए। ऐसा होने से शरीर में मौजूद प्रोटीन खराब होना शुरू हो जाता है। इससे ब्रेन में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है।
डिहाइड्रेशन – गर्मी में अधिकतर लोग डिहाइड्रेशन के शिकार होते हैं। इसमें उल्टी या दस्त हो सकते हैं। मजदूर वर्ग, बीएसएफ के जवान, सैनिक, खिलाड़ी ज्यादातर समय धूप में रहते हैं। इससे उनमें पानी की कमी ज्यादा होने की आशंका होती है। ज्यादा पसीना आने से सोडियम की कमी होने लगती है।
फूड पॉइजनिंग और हिपेटाइटिस ए व ई– गर्मी में खाने-पीने की चीजें जल्दी खराब होने लगती हैं। उनमें बैक्टीरिया जल्दी पनपने लगते हैं। इससे उल्टी-दस्त व टाइफाइड की आशंका बढ़ जाती है। दूषित भोजन व पानी से हिपेटाइटिस ए व ई के होने का खतरा रहता है। इसमें पीलिया होता है। इस दौरान आंखों में पीलापन हो जाता है। उल्टियां होने लगती हैं। कमजोरी व बुखार हो जाता है।

इस समय होने वाले रोग

हीट रैशेज – गर्मी की वजह से जलन और लालिमा आ जाती है।
हीट क्रैम्प्स: गर्मी से मांस-पेशियों में असहनीय ऐंठन होती है।
गर्मी से थकावट – यह बहुत कम तरल पदार्थ व उच्च तापमान में लंबे समय तक रहने के कारण होती है। इसमें बहुत पसीना आता है। धडक़न बढ़ जाती है।

पानी की पूर्ति करें

लू से बचाव के लिए नींबू पानी में नमक या चीनी घोलकर पी सकते हैं। ओआरएस का घोल फायदेमंद है। इसे पीने से शरीर में पानी की पूर्ति हो जाती है। छाछ में नमक और जीरा मिलाकर पी सकते हैं। इसके सेवन से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है। इलेक्ट्रोलाइट्स भी पानी की कमी को दूर करने में कारगर है।

न पहनें चुस्त कपड़े


कई लोग बहुत चुस्त कपड़े पहनते हैं। जिससे पसीना ठीक से नहीं निकल पाता है। शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है। शुरू में बेचैनी, घबराहट, जी मिचलाना, चक्कर व उल्टी जैसे लक्षण नजर आते हैं। ऐसा होने पर तरल पदार्थों का सेवन करें। ठंडी जगह पर आराम करें। इलेक्ट्रोलाइट भी देना चाहिए। फिर भी हालत स्थिर नहीं होती है तो तुरंत ग्लूकोज चढ़वाना चाहिए। जिन लोगों को हार्ट डिजीज, डायबिटीज, किडनी रोग या पैरालिसिस की समस्या है तो उन्हें ज्यादा पानी पीना चाहिए। ऐसे लोगों को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
-डॉ. आलोक गुप्ता, फिजिशियन
-डॉ. बंकट लाल पारीक, आयुर्वेद विशेषज्ञ

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