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जिंक और मिनरल की कमी बढ़ा रही नौनिहालों में अस्थमा रोग

चिकित्सक बोले: सावधानी ही बचाव बुजुर्गों के साथ बच्चों में भी मिल रहे अस्थमा के लक्षण बढ़ते प्रदूषण और बदलती जीवनशैली के कारण खान-पान में जिंक और मिनरल की कमी अस्थमा रोग को बढ़ा रही है। आमतौर पर अधेडावस्था के बाद होने फेफड़ों की इस बीमारी की चपेट में नौनिहाल भी आ रहे हैं। मेडिकल […]

सीकरMay 07, 2024 / 11:27 am

Puran

चिकित्सक बोले: सावधानी ही बचाव

बुजुर्गों के साथ बच्चों में भी मिल रहे अस्थमा के लक्षण

बढ़ते प्रदूषण और बदलती जीवनशैली के कारण खान-पान में जिंक और मिनरल की कमी अस्थमा रोग को बढ़ा रही है। आमतौर पर अधेडावस्था के बाद होने फेफड़ों की इस बीमारी की चपेट में नौनिहाल भी आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के रे​स्पिरेटरी और बच्चा रोग ​विभाग में दस में से चार मरीजों की औसत आयु 14 साल से कम है। आजीवन चलने वाले अस्थमा रोग का उपचार दवाओं की बजाए सावधानी ही है। समय पर इलाज नहीं करवाने से साधारण सा अस्थमा क्रॉनिक​स्टेज में चला जाता है। इस कारण इस बार विश्व अस्थमा दिवस की थीम ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा की ओर से अस्थमा शिक्षा सशक्तिकरण रखी गई है।

कंट्रोल किया जा सकता है अस्थमा

श्वसन रोग विभाग के फिलहाल विश्व में साढ़े तीन करोड़ लोग अस्थमा की चपेट में है। जिस तेजी से अस्थमा रोग बढ़ रहा है उस लिहाज से वर्ष 2025 में अस्थमा रोगियों की संख्या दस करोड़ तक पहुंच जाएगी। भारत में हर साल अस्थमा के कारण करीब दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। जबकि सीकर में इसका अनुमानित आंकड़ा सात से आठ हजार लोग है। श्वसन रोग विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा रोगियों में अगर समय रहते अस्थमा का निदान हो जाए तो इसके उचित उपचार से लक्षणों को बिगड़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।

एलर्जन के कारण अस्थमा

अस्थमा रोग पाल्यूशन, डस्ट पार्टिकल्स, हाउस माइट, पुराने कपड़े में रहने वाले माइट्स, शुरू से होता है। सीकर में अस्थमा के करीब 90 प्रतिशत से अधिक अस्थमा रोगी इनहेल्ड कॉर्टिको स्टेरॉइड्स का उपयोग नहीं करते हैं जो कि अस्थमा के उपचार के लिए बेहद जरूरी है। यही कारण ओपीडी में आने वाले 15 प्रतिशत से ज्यादा मरीज क्रॉनिक अस्थमा के आते हैं।

इन लक्षणाें से रहें सतर्क

अस्थमा रोग के शुरूआती लक्षण खांसी, सांस लेने में परेशानी, छाती से सिटी जैसी आवाज, छाती में भारीपन होना है। इन लक्षणों के आधार पर पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट, खून की जांचे और छाती का एक्सरे करवाया जाता है। इसके लिए कल्याण अस्पताल में श्वसन रोग विभाग बना हुआ है। जिसमें जांच व उपचार की सुविधा निशुल्क है।

इनका कहना है

अस्थमा को कंट्रोल किया जा सकता है। इस रोग का पूरी तरह से उपचार व्य​क्ति की जीवनशैली पर निर्भर करता है। एलर्जंस के कारण सांस की नलियां सिकुड़ जाती है और सीक्रेशन बढ़ जाता है। जिससे फेफड़ों से सांस बाहर निकालने में परेशानी होने लगती है। जिंक, मल्टी विटामिन और मिनरल्स के जरिए इस रोग पर कुछ हद तक काबू पाया जाता सकता है।

डॉ. परमेश पचार, वरिष्ठ विशेषज्ञ श्वसन रोग, कल्याण मेडिकल कॉलेज

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