गौरतलब है कि अमेरिका में 1886 के कुख्यात हेमार्केट मामले की याद दिलाता यह दिन भारत में 1923 से ही मुखर हुआ है। वर्तमान मशीनी युग में भी इस वर्ग की महत्ता कम नहीं हुई है। आए दिन मजदूरों के शोषण की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, इसलिए अभी सरकारों को इस पर बहुत काम करना बाकी है।
यह है श्रम दिवस का इतिहास
वर्ष 1886 में संयुक्त राज्य भर में श्रमिकों ने आठ घंटे के कार्यदिवस की मांग के लिए राष्ट्रीय हड़ताल की गई। इसके चलते शिकागो के हेमार्केट स्क्वॉयर में विरोध प्रदर्शन हिंसक होने से कई श्रमिकों की मौत हो गई। उनके ब लिदान का सम्मान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की ओर से एक मई को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में घोषित किया गया था।
मई दिवस की महत्वपूर्ण घटनाएं
1886 में, मई दिवस को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में जाना जाने लगा, जो दुनिया भर में मनाया जाने वाला श्रमिक अवकाश था।
1894 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने श्रमिकों के योगदान और उपलब्धियों को पहचानने के लिए मजदूर दिवस को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में स्थापित किया।
इनका अपना दर्द, नहीं सुनता कोई पीड़ा
न्यू धानमंडी मजदूर संघ श्रीगंगानगर के जिलाध्यक्ष किशोरीलाल सिवान का कहना है कि मजदूर सर्दी, गर्मी, आंधी-तूफान और बारिश में ही कड़ी मेहनत करता है लेकिन उसको उसकी मेहनत-मजदूरी पूरी नहीं मिल पाती। श्रीगंगानगर ही नहीं जिले की प्रत्येक धानमंडियों में काम करने वाले मजदूर व हमाल वर्ग के समक्ष सबसे बड़ा संकट यह है कि खरीफ और रबी सीजन में मुश्किल से छह महीन काम चलता है। इसके बाद मजूदर छह माह तक खाली ही रहता है। इस दौरान परिवार का पालन-पोषण करना बहुत मुश्किल होता है। बच्चों की पढ़ाई, बीमारी में उपचार और शादी-विवाह में आर्थिक मदद नहीं मिल पाती। हालांकि मजदूर वर्ग के लिए सरकार ने बहुत योजनाएं संचालित की है लेकिन योजनाएं ऑनलाइन होने से मजदूर वर्ग कागजी कार्रवाई समय पर पूर्ण नहीं करवा पाता। इस कारण उसको पूरा लाभ नहीं मिल पाता। यह भी पढ़ें :
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कृषि विपणन विभाग के क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक शिवसिंह भाटी का कहना है कि महात्मा ज्योतिबा फूले मंडी श्रमिक कल्याण योजना संचालित की जा रही है। इसमें एक अप्रेल से 31 मार्च 2024 तक श्रमिक वर्ग की महिलाओं को प्रसूति सहायता तीन महिलाओं को,विवाह सहायता 82 बेटियों को,छात्रवृति सहायता 11 बच्चों को और पितृत्व सहायता 24 मजदूरों को दी गई है। इस हिसाब से श्रीगंगागनर जिले की सभी मंडियों के श्रमिकों को 42,74,655 लाख रुपए की राशि की आर्थिक सहायता विभागीय योजनाओं में स्वीकृत किए गए हैं।