सूरत. गुजरात के आर्किटेक्चर कॉलेजों में विद्यार्थी नहीं मिलने पर उनकी हालत दयनीय हो गई है। उसमें भी खासकर दक्षिण गुजरात के आर्किटेक्चर कॉलेज बंद होने की कगार पर हैं। 2023 की प्रवेश प्रक्रिया ACPC में गिनती के विद्यार्थियों के प्रवेश लेने से आचार्यों और संचालक चिंतित हैं। वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (वीएनएसजीयू) VNSGU के साथ तीन कॉलेजों को मिलाकर मात्र 21 विद्यार्थियों ने ही प्रवेश में रुचि दिखाई हैं।
इसमें भी रमण भक्ता स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में अब तक एक ने भी प्रवेश में रुचि नहीं दिखाई है। सभी सीटें खाली पड़ी हैं। यदि यही हाल रहा तो दक्षिण गुजरात में अन्य कॉलेज भी बंद करने पड़ सकते हैं। गुजरात में डिग्री-डिप्लोमा इंजीनियरिंग की प्रवेश प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंचते ही प्रवेश समिति ACPC ने आर्किटेक्चर कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया शुरू की है। दक्षिण गुजरात में पांच कॉलेजों को मिलाकर इस साल गुजरात के सिर्फ 21 कॉलेजों को ही प्रवेश प्रक्रिया में शामिल किया गया है। कुल 302 सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई थी।
- पहले ही एक कॉलेज हो चुका है बंद :
वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय ने वेसू स्थित विद्या मंदिर कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर को ताला लगा दिया है। यह कॉलेज साल 2016 में 40 सीटों के साथ शुरू हुआ था। साल 2016, 2017 और 2018 में इसमें विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था। 2019 से इस कॉलेज में विद्यार्थियों ने प्रवेश लेना बंद कर दिया। 3 सालों से एक भी प्रवेश नहीं होने पर ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने इसे बंद करने का निर्देश दिया था।
- जारी की गई प्रवेश सूची :
जारी की गई प्रवेश सूची ACPC के अनुसार वीएनएसजीयू की 67 सीटों के सामने 14, वेसू स्थित भगवान महावीर की 90 सीटों के सामने एक, पी.पी.सवाणी की 25 सीटों के सामने 6 विद्यार्थियों ने ही प्रवेश में रुचि दिखाई है। जबकि रमण भक्ता की सभी 35 सीटें खाली है। 302 सीटों में से 106 पर प्रवेश हुए हैं और 196 सीटें खाली हैं। अठवा लाइंस स्थित एकमात्र स्केट कॉलेज की ही सभी 85 सीटें भरने की उम्ममीद है। वीएनएसजीयू में 53, भगवान महावीर में 89, पी.पी.सवाणी में 19 और रमण भक्ता में 35 सीटें रिक्त बताई जा रही है।
- प्रवेश की निश्चितता पर भी प्रश्न :
प्रवेश समिति ने विद्यार्थियों को 19 अगस्त तक कॉलेज चयन का निर्देश दिया है। 23 अगस्त को प्रवेश का पहला राउंड और 4 सितंबर को दूसरा राउंड होगा। कॉलेज चयन का अवसर दिए जाने पर संचालक और भी परेशान हो उठे हैं। उन्हें डर है कि कहीं रिक्त सीटों की संख्या देख उनकी कॉलेज में रुचि दिखाने वाले विद्यार्थी अन्य कॉलेज की ओर स्थलांतरित ना हो जाए।