
भरूच. जिले के दहेज क्षेत्र में नर्मदा परिक्रमा पर निकले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। यहां नर्मदा नदी पर परिक्रमा वासियों को एक किनारे से दूसरे किनारे तक पहुंचाने की व्यवस्था बेहद जोखिमभरी है। पानी की कमी के कारण जेटी तक नाव नहीं पहुंच पा रही है और मजबूरी में दो नौका के बीच रखे लकड़ी के ‘पाटे’ से यात्रियों को उतरना-चढ़ना पड़ रहा है। यह स्थिति किसी भी समय बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
नर्मदा परिक्रमा के दक्षिण तट के अंतिम पड़ाव श्री रेवा संगम तीर्थधाम वमलेश्वर से परिक्रमा वासियों को नाव के माध्यम से नदी के उत्तर तट स्थित मीठीतलाई पहुंचाया जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मार्ग से नर्मदा परिक्रमा पूरी करते हैं, लेकिन वर्तमान में उत्तर तट पर स्थित नर्मदा परिक्रमा की जेटी के सामने लगभग 10 से 15 फीट तक गीली मिट्टी जम जाने के कारण स्थिति चिंताजनक बन गई है। जानकारी के अनुसार, जेटी के पास पर्याप्त पानी न होने से बड़ी ट्रॉलर नौका को तैरने के लिए आवश्यक 6 से 8 फीट की गहराई नहीं मिल पा रही है। विशेषकर परिक्रमा के दौरान पखवाड़े की अष्टमी से द्वाद्वशी तिथि के दौरान पानी का स्तर काफी कम हो जाता है। इस वजह से श्रद्धालुओं से भरी नौका सीधे किनारे की जेटी तक नहीं पहुंच पातीं और उन्हें बीच में ही रुकना पड़ता है। ऐसी स्थिति में बीते दिनों में 4-5 बार श्रद्धालुओं को जान जोखिम में डालकर नौका से उतरना पड़ा। नौका संचालकों द्वारा मजबूरी में दो नौका के बीच लकड़ी का पाटा रखकर श्रद्धालुओं को पार कराया जाता है, जो बेहद खतरनाक है। जरा-सी चूक या संतुलन बिगड़ने पर कोई भी श्रद्धालु नदी में गिर सकता है।
स्थानीय लोगों और परिक्रमा वासियों में इस स्थिति को लेकर आक्रोश है। श्रद्धालुओं का कहना है कि नर्मदा परिक्रमा आस्था और श्रद्धा का विषय है, लेकिन इस तरह की अव्यवस्था से न केवल उनकी आस्था को ठेस पहुंच रही है बल्कि उनकी जान भी खतरे में पड़ रही है। कई बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी परिक्रमा में शामिल होते हैं, जिनके लिए यह व्यवस्था और अधिक जोखिमपूर्ण साबित हो रही है। नौका घाट के संचालकों ने इस गंभीर समस्या को लेकर प्रशासन और संबंधित विभागों के समक्ष बार-बार अपनी बात रखी है। उनका कहना है कि नर्मदा परिक्रमा की जेटी के सामने तत्काल ड्रेजिंग करवाई जाए, ताकि खाड़ी की गहराई बढ़ाई जा सके और बड़ी नौकाएं आसानी से किनारे तक लग सकें।
Published on:
16 Dec 2025 09:22 pm
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