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सूरत

नोटिफिकेशन से बनेगी बिगड़ी बात

चीन समेत दूसरे देशों से आ रहे माल पर ड्यूटी बढ़ाने और फ्लोर प्राइस तय करने के केंद्र के निर्णय को राजनीतिक हलकों में डेमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा

सूरतOct 31, 2017 / 07:18 pm

मुकेश शर्मा

Dissatisfaction will be made from notification

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सूरत।चीन समेत दूसरे देशों से आ रहे माल पर ड्यूटी बढ़ाने और फ्लोर प्राइस तय करने के केंद्र के निर्णय को राजनीतिक हलकों में डेमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है। इसका कितना असर होगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन नोटबंदी और जीएसटी से बेहाल बाजार को बूस्ट मिलेगा, यह तय है। जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार ने फायदे के इसी फार्मूले को थामकर रूठे हुओं को मनाने की कोशिश की है।

राज्य में आचार संहिता लागू होने के बाद भी केंद्र सरकार कई बार ब्रह्मास्त्र का अपने स्तर से इस्तेमाल कर लेती है। मोदी सरकार ने गुजरात की डूबती लुटिया को संभाले रखने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार का हालिया नोटिफिकेशन गुजरात के चुनाव पर बड़ा असर डाल सकता है। नोटबंदी और जीएसटी पर अमल के बाद गुजरात समेत देशभर में व्यापारी सडक़ों पर उतरे और आंदोलन किया। जीएसटी का सबसे ज्यादा असर कपड़ा उद्योग पर पड़ता दिखा और सूरत के कपड़ा कारोबारियों ने इसके खिलाफ लंबा अभियान चलाया। बाजार बंद रहे, जिसका असर कारोबारी गतिविधियों पर भी पड़ा।

माहौल पूरी तरह सरकार के खिलाफ जाता दिखा तो बिगड़े हालात को संभालने की कवायद शुरू हुई। पहले जीएसटी काउंसिल की बैठकों में राहत के छोटे-छोटे पैकेज बांटे गए। इस बीच गुजरात विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम का ऐलान हुआ और आचार संहिता अमल में आ गई।

प्रदेश में इस बार एंटी इनकमबेंसी जोर पकड़ती दिखी, जिसमें जीएसटी ने आग में घी डालने का काम किया। जीएसटी काउंसिल की राहतें छोटी पड़ती देख केंद्र सरकार ने आचार संहिता के बीच में ही एक नोटिफिकेशन जारी कर सिंथेटिक एण्ड रेयान टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की बरसों पुरानी मांग पर मुहर लगा दी। इसका कितना असर पड़ा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन माहौल बदलने की कोशिश जरूर हुई है।

भरपाई नहीं होगी

अब पछताए का होत है, जब चिडिय़ा चुग गई खेत। केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन का अब कोई मतलब नहीं रहा। इस फैसले से नुकसान की भरपाई नहीं होगी। न हमारी, न भाजपा की। यह मामला आचार संहिता के उल्लंघन का भी होना चाहिए। ताराचंद कासट, व्यापारी नेता

केंद्र के फैसलों पर निष्प्रभावी है संहिता

जानकारों के मुताबिक आचार संहिता के दौरान राज्य सरकार या केंद्र सरकार राज्य विशेष के मतदाताओं को प्रभावित करने वाले नीतिगत निर्णय नहीं कर सकतीं। हालिया नोटिफिकेशन से हालांकि देशभर के कपड़ा कारोबारियों को फायदा पहुंचेगा, लेकिन सबसे ज्यादा असर गुजरात और सूरत में ही दिखेगा।

राजस्थान के भीलवाड़ा समेत देश की कई अन्य कपड़ा मंडियों के लिए भी यह फैसला असर डालेगा, इसलिए तकनीकी रूप से इसे आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। जानकार मानते हैं कि आचार संहिता के दौरान केंद्र सरकार ने पिछले दरवाजे से प्रदेश के कपड़ा कारोबारियों को राहत देने का काम किया है।

समस्याओं पर आश्वासन

सूरत. जीएसटी रिटर्न से जुड़ी व्यापारिक समस्याओं को सुलझाने के लिए रविवार को गांधीनगर में मुख्यमंत्री और वैट सलाहकारों के बीच हुई मीटिंग में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया। इसके बाद वैट सलाहकारों ने आगामी दिनों के तमाम विरोध प्रदर्शन 9 नवंबर तक स्थगित करने का फैसला किया है।

सदर्न गुजरात वैट कंसल्टेंट बार एसोसिएशन के प्रमुख प्रशांत शाह ने बताया कि जीएसटीआर-2 और जीएसटीआर-2ए सहित जीएसटी के कई नियम अटपटे होने के कारण रिटर्न फाइल करने में विलंब होता है। कई बार रिटर्न फाइल नहीं हो पाती तो व्यापारियों से पैनल्टी और ब्याज लिया जाता है। इस नियम के कारण व्यापारी और वैट सलाहकार, दोनों परेशान हैं। इसको लेकर राज्यभर के अग्रणी वैट कंसल्टेंट और मुख्यमंत्री के बीच मीटिंग हुई। वैट सलाहकारों ने अपनी समस्याएं बताते हुए इन्हें 9 नवंबर तक दूर करने की गुहार लगाई।

मुख्यमंत्री ने उनकी समस्याओं की सुनवाई के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाने का फैसला किया, जो वैट से जुड़ी समस्याओं का अध्ययन कर 9 नवंबर से पहले जीएसटी काउंसिल के समक्ष रखेगी और इनके हल पर ध्यान देगी।

विनीत शर्मा.

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