उद्योगों के विकास के साथ तेजी से विकसित हो रहे सूरत में वायु प्रदूषण भी प्रतिदिन बड़ी समस्या बनता जा रहा है। ऐसे में सूरत के सरदार वल्लभभाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एसवीएनआईटी) SVNIT की ओर से हवा को शुद्ध करने के लिए एक प्रयोग किया जा रहा है। इसके अंतर्गत पांडेसरा औद्योगिक क्षेत्र में एअर प्यूरीफायर मशीन लगाने की योजना है। 900 मीटर के क्षेत्र की हवा शुद्ध करने के लिए ट्रायल बेस पर डिवाइस लगाकर उसकी मॉनिटरिंग की जाएगी।
टैक्सटाइल और डायमंड सिटी सूरत देश के बड़े औद्योगिक शहरों में शुमार है। सूरत शहर सचिन, पांडेसरा जीआईडीसी, खटोदरा, कतारगाम, कडोदरा, पीपोदरा और अंकलेश्वर जीआईडीसी के बीच घिरा हुआ है। सूरत के चारों तरफ हवा और पानी का प्रदूषण बड़ी चुनौती बन गया है। हवा- पानी शुद्ध करने के लिए यहां कुछ प्रयोग किए जा रहे हैं। उनमें अब एसवीएनआईटी भी जुड़ गया है।
- एयर बाउंड्री कठिन चुनौती :
शहर से सटे औद्योगिक क्षेत्र पांडेसरा अत्यधिक प्रदूषित होने से पहले इस प्रोजेक्ट को यहां परखा जा रहा है। यहा इस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर 900 मीटर क्षेत्र में वर्चुअल एयर बाउंड्री बनाने का प्रयास किया जाएगा। जो एक कठिन चुनौती होगी।
- 92 प्रतिशत लोग लेते हैं अशुद्ध हवा :
विश्व आरोग्य संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व के 92 प्रतिशत लोग अशुद्ध हवा ले रहे हैं। विश्व के प्रमुख 20 प्रदूषित शहरों में भारत के 13 ब?े शहरों का नाम है। यह प्रोजेक्ट सफल हुआ तो भारत की एयर पॉल्यूशन की समस्या से थोड़ी निजात मिल सकेगी।
भारत में सफलता की उम्मीद :
चीन ने 5 किलोमीटर तक की हवा शुद्ध करने के लिए बड़ा प्रोजेक्ट लगाया था। जिसमें चीन निष्फल रहा था। इसलिए पहले छोटे क्षेत्र में डिवाइस लगाकर मॉनिटरिंग कर इसकी सफलता को परखा जाएगा। मुंबई में भी ट्रायल शुरू कर दिया गया है। दिल्ली में प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बनाई गई है। छोटे क्षेत्र में डिवाइस लगाकर भारत में प्रयोग सफल करने की उम्मीद जताई जा रही।
एयर पॉल्यूशन मॉनिटरिंग एंड कंट्रोल प्रोजेक्ट पर काम :
एसवीएनआईटी SVNIT का क्लीन एनवायरनमेंट रिसर्च सेंटर एक कम्पनी के साथ मिलकर पांडेसरा औद्योगिक क्षेत्र में एयर पॉल्यूशन मॉनिटरिंग एंड कंट्रोल प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। जिसके अंतर्गत 8 फीट ऊंचा हाईटेक आउटडोर एयर प्यूरीफायर लगाया जाएगा। यह मशीन क्लीन एयर केनोपी प्रणाली पर काम करती है। इस डिवाइस से पर्यावरण में फैले घातक जहरीले कण पीएम 2.5 और पीएम 10 को शुद्ध करेंगे।
एसवीएनआईटी ट्रायल बेस पर प्रोजेक्ट को शुरू करेगा। पांडेसरा की एक स्कूल में इसे लगाने की योजना है। सूरत अन्य क्षेत्रों को भी मॉनिटरिंग का हिस्सा बनाया जाएगा।
- डॉ.रॉबिन किश्चन, कॉर्डिनेटर, क्लीन एनवायरनमेंट रिसर्च सेंटर, एसवीएनआईटी