सूरत

हिंदी दिवस : संपर्क की भाषा हिंदी बनी सूरत के अरबों रुपए के व्यापार की भाषा

14 सितंबर को देशभर में हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। जिस हिंदी को आज हम बोलते-सुनते-पढ़ते हैं, उस हिंदी भाषा को सूरत के गुजराती व्यापारियों ने व्यापार की भाषा बनाकर सरलता से अरबों रुपए का व्यापार कर रहे हैं। भारत के अधिकतर क्षेत्रों में ज्यादातर हिन्दी भाषा बोली जाती है। इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया। जो आज हर भाषा के व्यक्ति को जोड़ने का उत्तम माध्यम बनी है। इस हिंदी भाषा से सूरत के व्यापारी अन्य प्रांत के व्यापारियों से जुड़कर अरबों का व्यापार कर रहे हैं।

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Sep 24, 2022
हिंदी दिवस : संपर्क की भाषा हिंदी बनी सूरत के अरबों रुपए के व्यापार की भाषा

भाषा के बिना व्यक्ति का विकास संभव नहीं है, फिर वह मातृभाषा हो या राष्ट्रभाषा। भाषा व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास की सबसे महत्वपूर्ण माध्यम होती है। यही माध्यम उसे विकास की ओर आगे बढ़ाता है। हर प्रांत की भाषा सीखना संभव नहीं है। इसलिए सरलता से समझने और बोलने वाली हिंदी का उपयोग कर सूरत के गुजराती व्यापारी आज देश के हर प्रांत के व्यक्ति के साथ बात कर व्यापार कर रहे हैं। इस व्यापार से सिर्फ माह में ही अरबों का व्यापार हो रहा हैं। सूरत में लाखों की संख्या में कपड़ा व्यापारी, ग्रे व्यापारी, टूर्स एंड ट्रैवलर्स व्यापारी, इलेक्ट्रॉनिक व्यापारी, लाखो छोटी बड़ी कई तरह के समान बनाने वाली कंपनियां है। इसके साथ कई तरह के व्यापार सूरत में होते हैं। सूरत को देश का लघु भारत कहा जाता है। क्योंकि यहां हर प्रांत के लोग बसे हुए है। सूरत ही एक ऐसा शहर है जहां पर गुजराती, हिंदी, उर्दू, मराठी, तेलगु, उड़िया और अंग्रजी माध्यम में शिक्षा दी जाती है। अन्य प्रांत के व्यक्ति से व्यापार करने और उसे काम पर रखने के लिए हिंदी का ही उपयोग हो रहा है।

- व्यापार के विकास में हिंदी ने दिया भरपूर साथ :
पहले सिर्फ सूरत में ही लेस का व्यापार करता था। फिर व्यापार को बढ़ाने के लिए अलग अलग शहर दिल्ली, यूपी-एमपी के व्यापारी, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और दक्षिण गुजरात में हैदराबाद तक व्यापार कर रहा हूं। सब अलग अलग भाषा के व्यापारी है। लेकिन सब हिंदी अच्छे से बोल लेते है। इसलिए हिंदी में बात कर व्यापार किया जा रहा है। आज देश के हर क्षेत्र में व्यापार कर साल का 7 से 8 करोड़ का टर्न ओवर हो जाता हैं। मेरे जैसे सूरत में लाखों लेस के व्यापारी होंगे। सोचो कितने अरबों का व्यापार सिर्फ हिंदी में संपर्क करने से हो रहा है। व्यापार के विकास में हिंदी ने भरपूर साथ दिया है।
- कीर्ति महादेववाला, लेस व्यापारी
- हिंदी से संपर्क आसान, मिलता है व्यापार :
टूर्स एंड ट्रैवल का व्यापार पूरी दुनिया में फैला हुआ है। आज सूरत के साथ गुजरात, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, रांची, बेंगलुरु, जयपुर, यूपी ओर एमपी के क्लाइंट हैं। साथ में गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगु, मलयाली, उड़िया, बंगाली, सिंधी के साथ अन्य कई भाषा वाले भी क्लाइंट के साथ काम कर रही हूं। सभी को अंग्रेजी और गुजराती आती नहीं। सब की भाषा मुझे आती नहीं। इसलिए हिंदी में बात होती है। क्लाइंट को पर्यटन का पैकेज हिंदी में समझाया जाता हैं। कही बाहर ले गए तो ट्रांसलेटर रख सभी को हिंदी में समझाया जाता है। हिंदी से व्यापार मिलता है। सूरत की टूर्स इंडस्ट्री बहुत बड़ी है। सभी के व्यापार को जोड़कर देखा जाए तो हिंदी में संपर्क कर अरबों का आंकड़ा पार हो जाता होगा।
- चैताली पारेख, टूर्स एंड ट्रैवल
- हिंदी की देन से गिन नहीं सकते इतना व्यापार होता है :
सूरत टैक्सटाइल सिटी है। लाखो व्यापारी है, करोड़ों लोग कपड़ा व्यापार से जुड़े हुए है। सब के व्यापार की मुख्य भाषा हिंदी ही है। आज दिल्ली, लुधियाना, अमृतसर, चंडीगढ़, जोधपुर, जयपुर और कोलकाता के व्यापारियों से व्यापार हो रहा है। साथ कारखाने में अलग अलग प्रांत के मजदूर काम कर रहे हैं। सभी के साथ हिंदी में ही बात होती है। रॉ-मटीरियल्स भी पंजाब के साथ कई जगहों से आता है। सब जगह हिंदी का उपयोग कर सरलता से व्यापार हो रहा है। बड़ी संख्या में ग्रे व्यापारी है साथ में बड़ी संख्या में दलाल भी है। सब को मिलाकर देखा जाए तो हिंदी में बात कर अरबों का व्यापार हो जाता हैं।
- कमल भाणावाला, ग्रे व्यापारी
- सफलता के लिए हिंदी बनी महत्व की कड़ी:
तमिलनाडु के कोथूर गांव से हूं। बेंगलुरु में साड़ी का व्यापार शुरू किया था। सूरत से ही साड़ी लेकर दक्षिण भारत में व्यापार करता था। सूरत में साड़ी का मैन्यूफैक्चरिंग होने कारण बेंगलुरु छोड़ 15 साल पहले सूरत आ गया। सूरत में आने से पहले थोड़ा हिंदी सीख लिया था। सूरत में व्यापार बढ़ाने में हिंदी ही काम आई। यहां अलग अलग प्रांत और भाषा के लोगो से संपर्क हुआ। सभी से जुड़ने के लिए हिंदी महत्व की कड़ी बनी। आज हिंदी के माध्यम से सरल और सफल व्यापार हो रहा है।
- सेंथिलकुमार दूरियासामी, साड़ी व्यापारी
- दूरियों को हिंदी ने नजदीकियों में बदलदी:
केरल से 15 साल पहले सूरत आया। संस्कृति और भाषा के चलते गुजरात में दिक्कत तो हुई। शुरुआत नौकरी से की साथ हिंदी सीखते गए। फिर 8 साल पहले कंस्ट्रक्शन का व्यापार शुरू किया। हर राज्य और हर भाषा के लोगो से मिलना होता है। लेकिन हिंदी के चलते आसानी से बात हो जाती है। एक राज्य से दूसरे राज्य की सारी दूरियां हिंदी नजदीकियों में बदलदेती है। आज हिंदी के चकते केरल के 15 हजार से अधिक परिवार सूरत में बसकर काम कर रहे है।
- सजीकुमार नायर, कंस्ट्रक्शन व्यापारी

Published on:
24 Sept 2022 02:40 pm
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