सूरत. नवरात्रि आते ही शहर के बाजारों में पर्व की रौनक दिखने लगी है। गली-मोहल्लों में पारंपरिक वस्त्रों के स्टॉल नजर आने लगे हैं। दूसरी तरफ बाजारों में गरबा भी दिखाई दे रहे हैं। शहर के व्यापारी सौराष्ट्र से गरबे मंगाकर यहां उन्हें सजाने व आकर्षक रूप देने में व्यस्त हैं। इन्हें शहर के अलावा दक्षिण गुजरात से विभिन्न क्षेत्रों में भेजने का सिलसिला भी चल रहा है।
नवरात्रि में गरबा की स्थापना कर देवी मां समक्ष गरबा खेलकर आराधना की जाती है। इसे और कोरोना के बाद के उत्साह को ध्यान में रख व्यापारियों ने बड़ी संख्या में गरबे तैयार किए हैं। सौराष्ट्र के राजकोट, मोरबी, थान और वांकानेर से विभिन्न आकार के सफेद मिट्टी के गरबे मंगाए जा रहे हैं। इन गरबों को सूरत स्थित टावर रोड के कुंभारवाड़ा में आकर्षक बनाया जाता है।
- आकर्षक बनाते है :
मुमताज कुंभार ने बताया कि व्यापारियों ने गणेश महोत्सव शुरू होने से ठीक पहले सौराष्ट्र से कच्चे गरबे मंगवाना शुरू कर दिया गया था। यहां इन गरबों को तरह-तरह के रंगों, स्टोन, लेस, रिबन और आर्टिफिशियल फूलों से सजाया जाता है। इन्हें आकर्षक बनाते समय यह खंडित ना हो जाए, इसका खास ध्यान रखा जाता है। इन्हें सजाकर सूखाने में समय भी लगता है। नवरात्रि आने से पहले ही शहर के साथ दक्षिण गुजरात के अन्य व्यापारियों की ओर से ऑर्डर मिलना शुरू हो गए हैं।
- रूप और मेहनत के अनुसार दाम :
ताहैरा कुंभार ने बताया कि छोटी गरबी से लेक बड़े गरबे और इनका पूरा सेट तैयार किया जाता है। जैसी मेहनत लगती है, वैसे उनके दाम लिए जाते हैं। होलसेल में छोटी गरबी 100 रुपए, बड़ी गरबी 200 और पूरे सेट के 350 रुपए के आसपास दाम हैं। कई गरबों की कीमत 500 रुपए के आस-पास हैं।