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Engineers Day: त्रिवेणी संगम पर बना 133 इंजीनियर की मेहनत है बीसलपुर बांध

Engineers Day: बीसलपुर बांध (Bisalpur Dam) को बनाने के दौरान 133 इंजीनियरों की ओर से अरावली पर्वतमाला के बीच मिली प्राकृतिक पहाड़ी दीवारों के चलते राज्य के अन्य बांधों से अत्यधिक कम लागत में बहुत बड़ा बांध का निर्माण हुआ है।

टोंकSep 15, 2019 / 10:29 am

pawan sharma

Engineers Day: त्रिवेणी संगम पर बना 133 इंजीनियर की मेहनत है बीसलपुर बांध

Engineers Day: त्रिवेणी संगम पर बना 133 इंजीनियर की मेहनत है बीसलपुर बांध

राजमहल. बनास नदी सहित डाई व खारी नदियों के त्रिवेणी संगम पर बना बीसलपुर बांध अब राज्य में पेयजल की दृष्टि से सबसे बड़े बांधों में शुमार है। बीसलपुर बांध को बनाने के दौरान 133 इंजीनियरों की ओर से अरावली पर्वतमाला के बीच मिली प्राकृतिक पहाड़ी दीवारों के चलते राज्य के अन्य बांधों से अत्यधिक कम लागत में बहुत बड़ा बांध का निर्माण हुआ है।
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बीसलपुर बांध निर्माण तत्कालीन इंजीनियरों की ऐतिहासिक जीत मानी जा रही है। । काफी वर्षों से पहले कनिष्ठ अभियंता अब सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत बांध के सहायक अभियंता मनीष बंसल ने बताया निर्माण कम्पोजिट ग्रेविटी से किया गया है, जिसमें अंदर पत्थर की चुनाई है व उपर सीमेंट, पत्थर व गिट्टी का उपयोग किया गया है। बीसलपुर बांध भूकंप रोधी बनाया गया है।
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यह रिक्टर स्केल पर 7 तक भूकंप की तीव्रता झेल सकता है। बांध के निर्माण के लिए जो पत्थर इंजीनियरों की ओर से सिलेक्ट किया गया, वह पत्थर भी पास ही स्थित शीला बारी देह के निकट डेढ़ कांकरी नामक पहाड़ी से चुना गया है, जिसमें लोहे की मात्रा भी पाई गई है।
इसी प्रकार बांध निर्माण के दौरान इंजीनियरों को बनास नदी में काफी गहराई तक स्थित बजरी व बजरी के अंदर पानी के प्रवाह को लेकर परेशानियों का सामना भी करना पड़ा ह।ै इंजीनियरों का कहना का कहना है कि बांध निर्माण के लिए नीव खुदाई के दौरान काफी गहराई तक एकत्र बजरी को हटाने व नींव खुदाई के दौरान पानी के प्रभाव को तोडऩे के लिए कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा है।
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इजीनियरों ने बांध निर्माण के साथ ही पर्यटकों का भी ध्यान रखा। यहां एक पार्क का भी निर्माण किया। बीसलपुर बांध का निर्माण जयपुर व अजमेर जिलों को जलापूर्ति के लिए करवाया गया है, जिसमें टोंक जिले में सिंचाई के लिए दाएं और बाएं मुख्य का निर्माण भी करवाया गया है।
यहां के इंजीनियरों की बदौलत बांध की बाईं मुख्य नहर राज्य में सबसे अधिक लंबाई तक खंभों पर टिकी नहर है, जो पहाड़ी क्षेत्र से गुजरती है। यह नहर लगभग 500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो अलग-अलग पहाडिय़ों के पास से लगभग 3 से 4 किमी की दूरी तक खंभों पर टिकी हुई है।

लगातार किया निर्माण कार्य
प्रदेश के मुख्य बीसलपुर बांध के निर्माण में 133 अभियंताओं का योगदान रहा है। बांध बनाने में अभियंताओं ने रात-दिन एक कर दिए। अनवरत चले काम की बदौलत आज बीसलपुर बांध प्रदेश के लोगों की प्यास बुझाने में अहम भूमिका निभा रहा है। बांध की निर्माण अवधि में विषम परिस्थितियों में भी अभियंताओं ने 24 घंटे लगातार काम किया था।

5 डिवीजन बनाए थे
बांध निर्माण के लिए विभाग की ओर से 5 डिवीजन बनाए गए थे। इनमें एक मुख्य अभियंता, 2 अधीक्षण अभियंता, 5 अधिशासी, 25 सहायक अभियंता व 100 कनिष्ठ अभियंताओं का योगदान रहा। वर्ष 1988 में इसका निर्माण शुरू हुआ।
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