read more: Watch Video:कम्पाउडर व डॉक्टर के बीच विवाद,चिकित्सकों ने किया कार्य बहिष्कार शाखा के जिलाध्यक्ष नईमुद्दीन अपोलो ने बताया कि राजस्थान पैरा मेडिकल काउंसिल की स्थापना वर्ष2014 में हुई थी। इसके गठन के बाद प्रदेश में पैरामेडिकल टेक्नशियनों को पंजीकरण कराना अनिवार्य किया गया, लेकिन इससे पहले पंजीकरण के सम्बन्ध में कोईआदेश नहीं थे।
read more:डिजिटल लाइटों से जगमगा उठी सूर्य नमस्कार की प्रतिमाएं , सभापति लक्ष्मी जैन ने रिमोट से किया उद्घाटन ऐसे में इससे पहले डिग्ग्री तथा डिप्लोमा लेने वालों का पंजीकरण अमान्य बताया जा रहा है। जबकि वे गांवों व शहरों में कार्यकर परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। प्रदेश में इनकी संख्या करीब 30 हजार है। ऐसे में ऐसे 30 हजार परिवारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा।
read more:छात्रावास में असुविधाओं को लेकर लेकर धरने पर बैठी छात्राएं, सात दिन के आश्वासन के बाद पांच घंटे बाद धरना किया समाप्त ऐसे में उन्होंने पैरामेडिकल काउसिंल के अस्तित्व में आने से पहले के सभी संस्थानों से डिप्लोमा धारियों को मान्यता देकर पंजीकृत करने, बेसिक लैब में टेक्नीशियन की अेर से किए गए कार्यों की रिपोर्ट पर टेक्नीशियन को ही हस्ताक्षर करने का अधिकार तथा बेसिक लैब में एमबीबीएस की अनिवार्यता खत्म करने की मांग की है। इस दौरान शमशाद, रमेश चंद, संजय सैनी, राजेश चावला, घनश्याम मेहरा, महेन्द्र आदि शामिल थे।
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