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उदयपुर

उदयपुर में ओबीसी का होगा महापौर, नगर निगम चुनाव को लेकर सियासत तेज

जयपुर में निकली लॉटरी, कानोड व फतहनगर एसटी महिला के लिए

उदयपुरOct 20, 2019 / 08:37 pm

Mukesh Hingar

उदयपुर का नया महापौर

उदयपुर का नया महापौर

मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. नगर निगम का महापौर ओबीसी वर्ग से होगा। यह फैसला रविवार की शाम को जयपुर में निकली लॉटरी में हुआ। स्वायत्त शासन विभाग (डीएलबी) की ओर से निकाली गई लॉटरी में जैसे ही पर्चियां निकालने का कार्यक्रम शुरू हुआ। एक-एक कर निकायों के वर्गवार सीट आरक्षण की पर्चियां निकालना शुरू हुआ, जैसे ही अंत में उदयपुर नगर निगम का नंबर आया और लॉटरी निकाली गई तो उदयपुर में महापौर की सीट ओबीसी वर्ग लिए आरक्षित हुई। इसका मतलब यह है कि ओबीसी वर्ग से पुरुष या महिला कोई भी महापौर का चुनाव लड सकते है। उदयपुर जिले की फतहनगर—सनवाड व कानोड नगर पालिका एसटी महिला के आरक्षित हुए। कार्यक्रम में राजनीतिक दलों के नेताओं की उपस्थिति में हुआ। इससे पूर्व कार्यक्रम शुरू हुआ तो उदयपुर के नेताओं की धडक़ने तेज होने लगी, टीवी पर अपडेट देखते हुए महापौर बनने का ख्वाब देखने वाले पर्चियों को लेकर उदयपुर में नेताओं ने मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहे थे।

उदयपुर में अब 70 वार्ड पर महापौर कोई भी बन सकता

उदयपुर में नगर निगम के 55 वार्ड से बढ़ाकर 70 वार्ड कर दिए है। ऐसे में 70 पार्षद चुनकर निगम जाएंगे, बड़ी बात यह है कि इनमें से महापौर हो सकता है लेकिन सरकार के नए नियम के अनुसार बिना पार्षद बनने वाला भी महापौर का चुनाव लड़ सकता है। वैसे इस फैसले को लेकर कांग्रेस के अंदर ही अंदर विरोध शुरू हो गया है। विपक्ष के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, कुछ मंत्रियों और नेताओं ने विरोध किया है। सबका तर्क था कि पार्षद का चुनाव नहीं जीतना वाला ही महापौर बन जाएगा यह समझ से परे है।
कटारिया ने भी गहलोत-धारीवाल पर साधा था निशाना
उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के नगर निकाय चुनावों में हाइब्रिड फैसला सही नहीं कहने के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस गलत फैसले से अब जो तुर्रमखां होंगे वहीं महापौर बनेंगे। कटारिया ने शनिवार को मुंबई से जारी एक बयान में कहा कि प्रदेश सरकार ने नगर निकाय के चुनावों को लेकर जिस तरह से निर्णय लिए है और नियमों को मनमर्जी से बदल रह है मतलब यह तुगलकी फरमान है। कटारिया ने कहा कि पूरा देश राजस्थान की तरफ देख रहा है, लोग सोच रहे है कि प्रदेश में कैसे निर्णय हो रहे है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पायलट को इस फैसले का पता नहीं और वे कहते है फैसला ठीक नहीं है तो सवाल उठता है कि सरकार ने बिना कैबीनेट में चर्चा किए निर्णय ले कैसे लिए है? उन्होंने कहा कि गहलोत व धारीवाल ने मिलकर जो निर्णय पिछले दिनों से किए है उससे वे प्रदेश की छवि को बहुत नीचे ले गए है, अविवेकपूर्ण निर्णय से बहुत हंसी उड़वा रहे है। कटारिया ने कहा कि बिना पार्षद बने महापौर बनने के फैसले से भाजपा हो या कांग्रेस दोनों के जमीन से जुड़े वर्कर तो कभी महापौर नहीं बन सकते है, अब महापौर खरीद-फरोख्त करने वाला ही बनेगा, कटारिया ने साफ शब्दों में कहा कि जो तुर्रमखां होगा वहीं महापौर बनेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को इतनी पाबंदी तो रखनी चाहिए कि महापौर का चुनाव पार्षद ही लड़ सकेगा।

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